New Delhi, Jul 10: शनिवार का दिन भगवान शनि देव को समर्पित माना जाता है, इस दिन भक्त शनि देव की पूजा अर्चना करते हैं । उन्हें सरसों का तेल, तिल, काली उड़द की दाल अर्पित कर मन की मुराद पूरी करने की प्रार्थना की जाती है । शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है, शास्त्रों में लिखा है कि शनि देव क्रोधी स्वभाव के हैं लेकिन जिसपर वो प्रसन्न हो जाएं तो वो रंक से राजा हो जाता है। लेकिन जिस पर वो कुपित हो जाएं, उसके जीवन से परेशानियां दूर ही नहीं होती । शनिदेव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं, इनकी महादशा 19 वर्ष की होती है । लेकिन एक कथा जो उनसे जुड़ी है वो ये कि भगवान शनिदेव श्रापित हैं । इससे जुड़ी एक कथा सुनी जाती है, जिससे सुनने से धन संकट दूर होता है ।
शनि को श्राप मिलने की कथा
पौराणिक ग्रन्थ ब्रह्मपुराण की इस कथा के अनुसार, शनिदेव बाल्यकाल से ही भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे । वे सदैव भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहते थे । युवावस्था में उनके पिता ने उनका विवाह चित्ररथ की कन्या से करवा दिया, उनकी पत्नी सती, साध्वी एवं परम तेजस्विनी थी । एक रात्रि जब वह ऋतु स्नान कर पुत्र प्राप्ति की इच्छा लिए शनिदेव के पास पहुंचीं तो उन्हें भगवान श्रीकृष्ण के ध्यान में लीन देख वो प्रतीक्षा करने लगीं । लेकिन बहुत समय बाद भी जब शनि भक्ति में ही लीन रहे, तो वो थक गईं । उनका ऋतु काल निष्फल हो गया । बस इसलिए उन्होंने कुपित होकर शनिदेव को श्राप दे दिया ।
कुदृषि का श्राप
शनिदेव की पत्नी ने उन्हें श्राप दिया कि आज से जिसे तुम देखोगे,
शनिदेव को प्रसन्न करना है बहुत ही सरल
शनिदेव के क्रोध से बचने के लिए मनुष्यों को बस कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए । न्
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