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रामविलास की दूसरी शादी में नहीं शामिल हुए थे माता-पिता, बहू पहुंची गांव तो ऐसा था रिएक्शन

अविनाश कौर और रामविलास पासवान धीरे-धीरे करीब आते गये, और शादी का फैसला लिया, हालांकि पासवान जब 7-8 साल के थे, तभी उनकी राजकुमारी देवी से शादी हुई थी।

New Delhi, Jul 15 : पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान 1977 में पहली बार लोकसभा का चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे, तो वहां उनकी मुलाकात वाणिज्य मंत्रालय में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात गुरबचन सिंह से हुई, गुरबचन सिंह और उनके तमाम साथी अधिकारी पासवान के मुरीद थे, धीरे-धीरे दोनों के बीच नजदीकी बढी, घर आना-जाना भी शुरु हुआ, इसी दौरान पहली बार रामविलास की गुरबचन सिंह की बेटी अविनाश कौर से मुलाकात हुई, जो तब ग्रेजुएशन की छात्रा थी।

नाम बदल लिया
अविनाश कौर और रामविलास पासवान धीरे-धीरे करीब आते गये, और शादी का फैसला लिया, हालांकि पासवान जब 7-8 साल के थे, तभी उनकी राजकुमारी देवी से शादी हुई थी, लेकिन दोनों के बीच जमीन-आसमान का अंतर था, बाद में पासवान अपनी पहली पत्नी से अलग हो गये, अविनाश कौर से शादी कर ली, कौर ने शादी के बाद अपना नाम बदलकर रीना पासवान कर लिया।

पासवान की जीवनी
पेंगुइन प्रकाश ने हाल ही में पासवान की जीवनी रामविलास पासवान- संकल्प, साहस और संघर्ष में प्रदीप श्रीवास्तव ने उनके निजी जीवन से जुड़े तमाम किस्से दिलचस्प अंदाज में पेश किए हैं। प्रदीप श्रीवास्ताव ने पासवान के हवाले से लिखा है, कि शादी का प्रस्ताव किसकी ओर से आया, ये तो याद नहीं है, शादी में सिर्फ एक अड़चन थी, वो थे पासवान के माता-पिता, पासवान को डर थी कि कहीं उन्हें दूसरी शादी की बात बताएं, तो वो नाराज ना हो जाएं, ऐसे में शादी की बात उन्हें बताई ही नहीं गई, और वो शादी में शामिल भी नहीं हुए, बाद में थोड़ी नाराजगी रही, लेकिन शादी के करीब 2 साल बाद उन्होने रीना को बहू के रुप में स्वीकार कर लिया।

बैलगाड़ी से पहुंची ससुराल
रामविलास के सबसे छोटे भाई रामचंद्र पासवान की शादी का मौका आया, तो रीना को पहली बार बिहार में उनके पैतृक गांव शहरबन्नी जाना पड़ा, ये बिहार के दूरदराज के इलाके में स्थित ससुराल की उनकी पहली यात्रा थी, तब आवागमन का साधन इतना सुलभ नहीं था, रामविलास पत्नी के साथ खगड़िया पहुंचे, यहां से जीप से अलौली के लिये निकले, रास्ते में ही जीप खराब हो गई, मजबूरन कई किमी पैदल चले, बाद में एक बैलगाड़ी की मदद से घर तक पहुंचे।

कुछ ऐसी थी सास-ससुर की प्रतिक्रिया
रीना पासवान ने बताया कि जब हम बैलगाड़ी से घर पहुंचे, तो बाबूजी दरवाजे पर ही खड़े थे, मुझे बताया गया कि बिहार में ससुर के पांव नहीं छूते हैं, लेकिन मैं खुद को रोक नहीं सकी, झुककर बाबूजी के पांव छुए, उन्होने सरसराती नजर से देखा, सिर्फ इतना पूछा कि पहचानती हो मुझे, मैं कौन हूं, मेरा जवाब सुनकर खुश हुए, दूसरे दिन में उनकी पास जाकर बैठी, कुछ ना कुछ पूछती रहती, धीरे-धीरे उनका गुस्सा पिघलने लगा। रीना ने बताया जब रामविलास पासवान के पिता की तबीयत खराब हुई, तो उन्हें दिल्ली लाया गया, तब वो हमेशा उनके पास बैठी रहती थीं, उनकी तमाम जरुरतों का ख्याल रखती तीं, वो कहती हैं कि बाबूजी मुझे मेम साहब कहकर बुलाया करते थे।

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