New Delhi, Sep 27 : योगी सरकार विस्तार तथा 4 विधान परिषद सदस्यों के नामों तथा जातियों के सामने आने के बाद ये साफ हो गया है कि बीजेपी अमित शाह के 2017 की रणनीति की राह पर है, केन्द्र का विस्तार हुआ या यूपी सरकार का फॉर्मूला पुराना है, उसी फार्मूले के तहत पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी किसान फसल बीमा योजना की शुरुआत बरेली से की गई, तो उज्जवला योजना की लांचिंग के लिये पूर्वांचल के बलिया जिले को चुना, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिये भी इलाहाबाद का चयन किया गया था, तो बीजेपी की राजनीति के लिहाज से अत्यंत ही पिछड़ा क्षेत्र था, एक बार फिर बीजेपी की रणनीति अगले 3 महीने के भीतर यूपी में भगवा माहौल बनाने की है।
बीजेपी की रणनीति
बीजेपी के रणनीतिकारों को पता है कि माहौल बनाना और जमीनी स्तर पर उसे वोटों में तब्दील करा पाना आसान नहीं होता, इसलिये पार्टी ने खुद को मुकाबले में आगे रखने तथा चुनाव के बाद के समीकरण को देखते हुए कारगर रणनीति पर काम तेज कर दिया है, बीजेपी यूपी को 6 जोन के लिये अलग-अलग चुनाव तथा संगठन प्रभारी की देखरेख में चुनावी रणनीति पर काम कर रही है, बीजेपी की रणनीति त्रिस्तरीय है, एक तरफ पार्टी पूरी तरह से जाति समीकरण को साध रही है,
गठबंधन का बड़ा गुलदस्ता
बीजेपी ने सामाजिक समीकरण और गठबंधन का बड़ा गुलदस्ता बनाने की दिशा में कदम बढा दिया है, निषाद पार्टी तथा अपना दल से गठबंधन इसका नमूना है, सोशल इंजीनियरिंग का गुलदस्ता खुद शाह ने तैयार किया है,
बीजेपी का कास्ट पॉलिटिक्स
ओबीसी के कुर्मी वोट बैंक में आधार रखने वाले अपना दल के साथ बीजेपी का गठबंधन पहले से है, अब पार्टी के निशाने पर करीब दर्जन भर छोटी पार्टियां हैं, पार्टी ने जिस तरह ओबीसी-दलित पर जोर दिया है, उससे सर्वणों में नाराजगी ना हो,
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