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अखिलेश का खेल खराब करने में जुटे चचा शिवपाल, विक्रमादित्य मार्ग पर लिखी गई स्क्रिप्ट

ओपी राजभर ने यूपी में छोटे सियासी दलों को संकल्प भागीदारी मोर्चे ने जोड़ने की कवायद को किस तरह अंजाम तक पहुंचाया जाए, इस पर फोकस किया, अगर गठबंधन हो तो किस तरह से हो, इस पर भी चर्चा की गई।

New Delhi, Sep 30 : यूपी विधानसभा चुनाव से पहले छोटे-छोटे राजनीतिक दल भी सक्रिय नजर आ रहे हैं, इसी क्रम में बुधवार को प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव के विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास पर यूपी के छोटे दलों का जमावड़ा लगा, वैसे तो बैठक के बारे में नेताओं ने कोई अपडेट नहीं दी, लेकिन सूत्रों का दावा है कि सुभासपा अध्यक्ष तथा योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ओपी राजभर, एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी, भीम आर्मी आजाद समाज के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद, शिवपाल यादव के साथ बैठक में मौजूद रहे, चर्चा करीब घंटे भर तक चली, जिसमें यूपी में छोटे दलों का भविष्य तथा वर्तमान पर चर्चा हुई।

संकल्प भागीदारी मोर्चा
ओपी राजभर ने यूपी में छोटे सियासी दलों को संकल्प भागीदारी मोर्चे ने जोड़ने की कवायद को किस तरह अंजाम तक पहुंचाया जाए, इस पर फोकस किया, अगर गठबंधन हो तो किस तरह से हो, इस पर भी चर्चा की गई, इस महत्वपूर्ण चर्चा में चारों दल इस बात को लेकर बेचैन दिखे कि इस प्रक्रिया में वक्त लगेगा, इसलिये जल्द से जल्द फैसला हो कि गठबंधन की प्रक्रिया की तरफ कैसे बढा जाए।

छोटे दलों के एकजुट होने के क्या हैं मायने
आपको बता दें कि जाति तथा धर्म पर आधारित इन दलों ने अगर एक साथ आने का मन बना लिया तो यूपी चुनाव 2022 में कई पार्टियों के राजनीतिक समीकरण बदल जाएंगे, यादव, मुस्लिम तथा पिछड़े वोट बैंक के सहारे यूपी की गद्दी पर वापस लौटने का ख्वाब संजोए समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी इस संभावित गठबंधन का प्रभाव पड़ सकता है।

सपा-बसपा को नुकसान
वैसे भी राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर शिवपाल यादव ने गठबंधन किया, तो इसका सीधा असर अखिलेश यादव और मायावती पर पड़ेगा, क्योंकि एंटी बीजेपी वोटों का बंटवारा होगा, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा। भीम आर्मी के कारण बसपा को भी दलित वोटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है, इतना ही नहीं बीजेपी को भी रणनीतिक बदलाव करना पड़ सरकता है, इतना ही नहीं अपने संगठन की चूलें दुरुस्त करने में जुटी कांग्रेस को भी अलग स्क्रिप्ट लिखनी पड़ सकती है, हालांकि अभी तक किसी भी तरह का गठबंधन का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन ऐसा होता है, तो बीजेपी उग्र हिंदुत्व के एजेंडे पर वापस आ जाएगी।

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