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मुझे बेटे के रुप में ना देखें, यशवंत सिन्हा बने राष्ट्रपति उम्मीदवार, तो जयंत सिन्हा का बड़ा बयान

यशवंत सिन्हा पहले बीजेपी के बड़े नेताओं में गिने जाते थे, वो संघ के भी करीबी रहे, अटल-आडवाणी युग में वो सेंट्रल टीम के अहम लोगों में से एक थे, वाजपेयी जी उनकी प्रशासनिक क्षमता के कायल थे।

New Delhi, Jun 22 : राष्ट्रपति चुनाव के लिये यशवंत सिन्हा को विपक्षी दलों ने संयुक्त रुप से उम्मीदवार बनाया, तो उनके बेटे तथा बीजेपी सांसद जयंत सिन्हा को लेकर सवाल खड़े होने लगे, अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दिये गये जवाब में जयंत ने कहा कि विपक्ष ने मेरे आदरणीय पिता यशवंत सिन्हा जी को राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया है, मेरा निवेदन है कि आप सभी इसे पारिवारिक मामला ना बनाएं, मैं बीजेपी का कार्यकर्ता और सांसद हूं, मैं अपने संवैधानिक दायित्व को पूरी तरह से निभाऊंगा।

बीजेपी के पूर्व दिग्गज नेता
आपको बता दें कि यशवंत सिन्हा पहले बीजेपी के बड़े नेताओं में गिने जाते थे, वो संघ के भी करीबी रहे, अटल-आडवाणी युग में वो सेंट्रल टीम के अहम लोगों में से एक थे, वाजपेयी जी उनकी प्रशासनिक क्षमता के कायल थे, वहीं आडवाणी भी उन्हें खूब पसंद करते थे, लेकिन मोदी युग के शुरु होने के साथ ही यशवंत साइडलाइन होते चले गये। 2014 में पहले उनका टिकट काटकर बेटे जयंत को दे दिया गया, फिर पार्टी की अहम बैठकों से दूर रहने लगे, उन्होने मोदी-शाह के खिलाफ तीखी बातें कही, शत्रुध्न सिन्हा के साथ उन्हें भी बीजेपी के बागी के तौर पर देखा जाता रहा है, हालांकि ये भी एक संयोग है कि दोनों को नया जीवन ममता बनर्जी ने ही दिया, यशवंता सिन्हा को राज्यसभा भेजा, तो शत्रुघ्न सिन्हा को लोकसभा चुनाव जितवाया।

जयंत के लिये पशोपेश
हालांकि यशवंत सिन्हा मोदी-शाह से बगावत करते रहे, लेकिन उनके बेटे जयंत अरुण जेटली के खासमखास रहे, जब जेटली वित्त मंत्री थे, तो वो वित्त राज्य मंत्री रहे, हालांकि मोदी सरकार-2 में जयंत को कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली है। लेकिन इसके बावजूद वो पार्टी और मोदी-शाह के प्रति पूरी आस्था रखते हैं।

दो पाटों के बीच फंसे
जयंत सिन्हा अभी दो पाटों के बीच फंसे हैं, एक तरफ बीजेपी है, जिसने ना सिर्फ 2 बार सांसद बनाया, बल्कि मोदी के पिछले कार्यकाल में मंत्री भी रहे, दूसरी तरफ पिता हैं, जिन्हें विपक्ष ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर उतारा है, उनके लिये दुविधा की स्थिति है, लेकिन जयंत ने अपना रुख साफ कर दिया है।

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