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बेटे के बाद यशवंत सिन्हा की पत्नी का बयान बटोर रहा सुर्खियां, उम्मीद खास नहीं

यशवंत सिन्हा की पत्नी नीलिमा सिंह ने कहा कि मेरे पति को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाये जाने से खुशी तो है, लेकिन मुश्किल भी है, उन्होने कहा कि मेरे पति साफ बोलने वाले लोगों में से है, उन्हें जो ठीक लगता है, वहीं करते हैं, उनका कैरेक्टर मजबूत है।

New Delhi, Jun 23 : आगामी 18 जुलाई को देश में राष्ट्रपति चुनाव के लिये वोट डाले जाएंगे, 21 जुलाई को देश को नया राष्ट्रपति मिल जाएगा, ऐसे में जहां एनडीए ने इस चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है, तो वहीं विपक्षी दलों ने मोदी ने कट्टर विरोधी कहे जाने वाले यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया है, फिलहाल संख्या बल के आधार पर देखें, तो यशवंत सिन्हा के राष्ट्रपति बनने की कम उम्मीद है।

मुश्किल है राह
यशवंत सिन्हा की पत्नी नीलिमा सिंह ने कहा कि मेरे पति को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाये जाने से खुशी तो है, लेकिन मुश्किल भी है, उन्होने कहा कि मेरे पति साफ बोलने वाले लोगों में से है, उन्हें जो ठीक लगता है, वहीं करते हैं, उनका कैरेक्टर मजबूत है। नीलिमा ने ये भी कहा कि यशवंत सिन्हा के पास उनका आत्मविश्वास है, वो गलत कामों को बर्दाश्त नहीं करते हैं, इसलिये कभी-कभी ज्यादा बोल जाते हैं, ज्यादा अस्पष्ट बोल जाते हैं, वहीं यशवंत सिन्हा के राष्ट्रपति चुनाव जीतने की उम्मीद पर नीलिमा सिंह ने कहा कि जीतने की उम्मीद तो कोई खास नहीं है, क्योंकि बहुमत बीजेपी के पास है, उम्मीदवार भी उन्होने अच्छा चुना है, ऐसे में खास उम्मीद नहीं है, लेकिन फिर भी देखते हैं, क्या होता है।

द्रौपदी को अन्य दलों का भी समर्थन
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की आदिवासी महिला के तौर पर प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को कई अन्य दलों का भी समर्थन मिल रहा है, जिसमें बीजेडी शामिल है, द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाये जाने के बाद ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने बुधवार को प्रदेश विधानसभा के सभी सदस्यों को एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में वोट करने की अपील की, उन्होने द्रौपदी को प्रदेश की बेटी बताया। इसके अलावा एनडीए उम्मीदवार को जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) का भी समर्थन प्राप्त है, वहीं बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी उनको समर्थन देने की घोषणा की है।

वोट का गणित
बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए के पास 48 फीसदी वोट (10.86 लाख वोटों में से 5.26 लाख) है, ऐसे में एनडीए प्रत्याशी के लिये राह आसान होगी, वहीं कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए के पास करीब 2 लाख 59 हजार 800 वोट हैं, जिसमें कांग्रेस के पास सबसे ज्यादा 145000 वोट है, संख्या बल में एनडीए काफी आगे है।

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