New Delhi, Sep 05 : हिंदू धर्मं में पितृपक्ष का खास महत्व है, इसमें पितरों की मुक्ति के लिये कार्य किये जाते हैं, पितृपक्ष में पूर्वजों से आशीर्वाद लिया जाता है, गलतियों के लिये माफी मांगी जाती है, उनके लिये पिंडदान किया जाता है, पितृपक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरु होता है, जो आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है, इस बार पितृ पक्ष 10 सितंबर से शुरु होकर 25 सितंबर तक चलेंगे।
पितृ पक्ष का महत्व
मान्यता के मुताबिक पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं, आशीर्वाद देते हैं, उनकी कृपा से जीवन में आने वाली कई तरह की रुकावटें दूर होती है, व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है।
ना करें ये गलतियां
हिंदू शास्त्रों में प्याज तथा लहसुन को तामसिक माना जाता है, जो हमारी इंद्रियों को प्रभावित करती है, पितृ पक्ष की अवधि के दौरान खाने में प्याज, लहसुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये।
पितृपक्ष के दौरान कोई भी जश्न या उत्सव नहीं मनाना चाहिये, ना ही इसका हिस्सा बनना चाहिये, इस अवधि में किसी भी तरह का जश्न मनाने से आपके पूर्वजों के प्रति आपकी श्रद्धा प्रभावित होती है।
पितृपक्ष की अवधि को अशुभ माना जाता है, इसलिये इस दौरान कुछ भी नया शुरु ना करने की सलाह दी जाती है, इस दौरान परिवार के सदस्यों के कुछ भी नई चीज नहीं खरीदनी चाहिये।
पितृपक्ष पूर्वजों को समर्पित है, इसलिये इस अवधि में शराब या मांसाहारी भोजन के सेवन से परहेज करना चाहिये।
पितृपक्ष के दौरान नाखून काटने, बाल कटवाने और दाढी बनवाने से बचना चाहिये।
पितृपक्ष में कैसे करें पितरों को याद
पितृपक्ष में हम अपने पितरों को नियमित रुप से जल अर्पित करें, ये जल दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके दोपहर के समय दिया जाता है,
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