New Delhi, Sep 08 : अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले पूर्व सांसद फिरोज गांधी का आज पुण्य तिथि है, 8 सितंबर 1960 को दिल का दौरा पड़ने से वो इस दुनिया से विदा हुए थे, फिरोज गांधी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के दामाद थे, हालांकि उन्होने कभी इसे अपने परिचय का हिस्सा नहीं बनने दिया, वो सरकार में रहते हुए भी नेहरु के कटु आलोचक रहे थे।
पारसी परिवार में जन्म
फिरोज गांधी का जन्म पारसी परिवार में हुआ था, लेकिन उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से हुआ, फिरोज के अंतिम संस्कार को लेकर भी कई तरह के सवाल उठते हैं, जैसे पारसी फिरोज की अंत्येष्टि हिंदू रीति-रिवाज से क्यों की गई,
फिरोज की मौत
फिरोज गांधी का निधन 8 सितंबर 1960 को वेलिंगटन अस्पताल में सुबह 7.45 बजे हुआ था, एक सप्ताह से उनके सीने में दर्द था, उन्होने 7 सितंबर को अपने डॉक्टर एचएस खोसला को फोन कर अपनी तबीयत की जानकारी दी,
राजीव ने दी मुखाग्नि
फिरोज के शव को अस्पताल से तीन मूर्ति भवन लाया गया, फिरोज ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से की जाए, उन्हें अंत्येष्टि का पारसी तरीका पसंद नहीं था, क्योंकि उसमें शव को चीलों के खाने के लिये छोड़ दिया जाता है,
फिरोज गांधी का सूरत कनेक्शन
फिरोज गांधी का जन्म 12 सितंबर 1912 को मुंबई के एक पारसी परिवार में हुआ था, पहले उनका नाम फिरोज जहांगीर गंधी था, गांधी नहीं, मुंबई के ज्यादातर पारसियों की तरह फिरोज का परिवार भी गुजरात से आकर बसा था,
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