New Delhi, Dec 17 : बिहार में नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक यानी कैग रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है, इस खुलासे में ये बात सामने आई है कि बिहार में चर्चित चारा घोटाले की तरह बाइक, ऑटो, ई-रिक्शा तथा कार को कथित तौर पर विभिन्न घाटों से बालू ले जाने के लिये परिवहन के साधन के रुप में इस्तेमाल किया गया है, खनन विभाग की लापरवाही के कारण प्रदेश सरकार को करीब 355 करोड़ का चूना लगा, विभागों के बीच को-ऑडिनेशन नहीं होने की वजह से बिहार सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।
क्या है रिपोर्ट
ये खुलासा सीएजी रिपोर्ट की वित्तीय वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट में हुआ है, शुक्रवार को सीएजी की रिपोर्ट जारी करते हुए महालेखाकार रामावतार शर्मा ने कहा कि
64 फीसदी चालान फर्जी
महालेखाकार की मानें, तो प्रदेश सरकार के 16 कार्य प्रमंडलों में लेखा परीक्षा द्वारा सत्यापित 33191 ई-चालान में से 21192 फर्जी पाये गये हैं, यानी कुल ई-चालान के 64 फीसदी फर्जी पाये गये हैं,
आईपीएस अधिकारियों पर कार्रवाई
आपको बता दें कि प्रदेश सरकार ने अवैध बालू खनन परिवहन तथा विक्रय को लेकर कई अधिकारियों पर कार्रवाई की है, 1 दर्जन से ज्यादा आला अधिकारियों पर केस दर्ज करने के अलावा कई एक्शन लिये गये हैं,
सीएजी के खुलासे से मची खलबली
खनन विभाग के अधिकारियों पर भी आर्थिक अपराध इकाई ने कार्रवाई की है, उनकी संपत्ति तक खंगाला है, कई अधिकारियों की अवैध संपत्ति जब्त की गई है, कई जिलों की पुलिस ने संयुक्त अभियान चलाकर बालू से जुड़े मामलों में आरोपियों को कटघरे में खड़ा किया है, इसके कई तरह के सकारात्मक इम्पैक्ट भी सामने आये हैं,
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