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जज के सामने भी बेटा-बहू से बात करने को राजी नहीं हुई बुजुर्ग मां, कोर्ट ने सुनाया फैसला, लोग दे रहे मिसाल

सुनवाई के दौरान बेटे की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि हम इकलौती संतान हैं और मां की प्रॉपर देखभाल करते थे, इस पर जज ने पूछा फिर माताजी को आपके खिलाफ मुकदमा दायर करने की जरुरत क्यों हो गई।

New Delhi, Apr 13 : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, हाईकोर्ट एक महिला तथा उसके इकलौते बेटे के बीच संपत्ति विवाद पर सुनवाई कर रहा था, महिला ने अपने बेटे को संपत्ति से बेदखल करने की मांग की थी, सुनवाई के दौरान महिला खुद कोर्ट पहुंची, उन्होने एक-एक कर अपनी आपबीती सुनाई, 65 वर्षीय महिला बुजुर्ग की बात सुन मामले की सुनवाई कर रह जज विवेक अग्रवाल भी हैरान रह गये, उन्होने महीने भर के भीतर मकान खाली करने का आदेश दे दिया।

कोर्ट में क्या-क्या हुआ
सुनवाई के दौरान बेटे की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि हम इकलौती संतान हैं और मां की प्रॉपर देखभाल करते थे, इस पर जज ने पूछा फिर माताजी को आपके खिलाफ मुकदमा दायर करने की जरुरत क्यों हो गई, इस पर बेटे की ओर से पेश वकील ने कहा कि इनकी 3 बेटियां भी है, वो चाहती हैं कि उन्हें भी संपत्ति में हिस्सा मिले, जस्टिस विवेक अग्रवाल ने टोकते हुए कहा कि ये ग्राउंड हो ही नहीं सकता है। महिला के वकील ने कहा कि बुजुर्ग कोर्ट में हैं, तो उन्हें अपना पक्ष रखने के लिये कहा गया, बुजुर्ग महिला ने बताया कि मेरी बहू कभी हाथ काट लेती है, तो कभी फांसी लगाने की धमकी देती है, मुझे पुलिस और जेल भिजवाने की धमकी देती है।

रोते हुए सुनाई आपबीती
बुजुर्ग महिला ने रोते हुए कहा बेटे और बहू ने मिलकर मुझे घर से निकाल दिया, सालभर से मैं रिश्तेदारों के यहां भटक रही हूं, महिला ने बताया कि घर मेरे पति ने बनवाया था, पति के असमय निधन के बाद बेटे को नौकरी भी मिली, वो 1 लाख रुपये महीने कमा रहा है, लेकिन मुझे ही बेघर कर दिया, बेटे की ओर से पेश वकील ने अपनी दलील में कहा कि ये अपनी बेटियों के साथ रहती हैं, इन्हें पेंशन भी मिलती है, हमारा बस इतना कहना है कि हमें ग्राउंड फ्लोर पर एक मंजिल और बनाने की इजाजत मिल जाए, हमारे भी बच्चे हैं, फैमिली मैटर है, आपस में बैठकर सुलह कर लेंगे। इस पर जज ने कहा इन्हें दूसरे के यहां रहने की जरुरत ही नहीं है, ये तो उनका घर है, आपके सामने ही तो बैठी हैं, पूछ लीजिए, अगर सुलह करना चाहें तो, हालांकि महिला बुजुर्ग ने सुलह की बात ठुकरा दी, उन्होने कहा बेटे बहू से जान का खतरा है।

महीने भर में खाली करें मकान
कोर्ट ने अपने आदेश में मामले को डिसमिस करते हुए कहा कि चूंकि बेटे ने कहा कि उसके छोटे बच्चे हैं, ऐसे में इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए मकान खाली करने के लिये एक महीने का समय दिया जा रहा है। महीने भर के अंदर मकान बुजुर्ग महिला को हैंडओवर कर दिया जाए। आपको बता दें कि बुजुर्गों कि देखभाल से संबंधित कई कानून हैं, सबसे चर्चित कानून मेंटेनेंस तथा वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटिजंस एक्ट 2007 है, जिसे मनमोहन सरकार लेकर आई थी, इस कानून में कहा गया है कि बेटे-बेटी की जिम्मेदारी है कि वो बुजुर्ग माता-पिता के भोजन, कपड़े, आवास, इलाज आदि जैसी बुनियादी जरुरतों को पूरा करें, बालिग पोते-पोतियों पर भी ये नियम लागू होता है।

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