पुणे हिंसा पर ‘नए’ राहुल गांधी से इस ट्वीट की उम्मीद नहीं थी

भीमा कोरेगांव जश्न पर फैली हिंसा पर राहुल गांधी ने सियासत शुरू कर दी है, जिसकी उनसे उम्मीद नहीं थी, ये उनके नए अंदाज से मेल नहीं खा रहा है।

New Delhi, Jan 02: महाराष्ट्र के पुणे में एक जश्न के कार्यक्रम से शुरू हुई हिंसा धीरे धीरे राज्य के दूसरे इलाकों तक फैल रही है, इसी के साथ इस मुद्दे पर सियासत भी शुरू हो गई, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फणनवीस ने इसे सरकार को बदनाम करने की साजिश बताने के साथ जांच का एलान किया तो वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि इसके पीछे दक्षिणपंथी लोगों का हाथ हो सकता है। लेकिन राहुल गांधी तो इन से भी दो हाथ आगे निकल गए. सीधे कह दिया कि पुणे हिंसा के पीछे बीजेपी और संघ की विचारधारा का हाथ है, यानि एक बार फिर से राहुल जल्दबाजी करते हुए अपनी राय रख रहे हैं। अभी मामले की जांच भी शुरू नहीं हुई और राहुल ने इस पर सियासी रोटिंया सेंकनी शुरू कर दीं हैं।

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राहुल गांधी ने ट्वीट करके बीजेपी और संघ पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा है कि ये बीजेपी और संघ की नीति है कि दलित हमेशा से समाज में दबे और कुचले रहे हैं। राहुल ने अपने ट्वीट में उना और रोहित वेमुला का भी जिक्र किया, उन्होंने लिखा कि उना की घटना और रोहित वेमुला का मामला इस का प्रमाण हैं। राहुल के इस ट्वीट के बाद से राजनीति गरमा गई है। राहुल गांधी ने इस ट्वीट के जरिए बीजेपी और संघ को दलित विरोधी बताने की कोशिश की है, उनसे इस तरह के ट्वीट की उम्मीद नहीं थी. खास तौर पर पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से वो नए अंदाज में दिख रहे हैं, उसे देखते हुए तो ये बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी कि राहुल इस तरह से हिंसा के मुद्दे पर सियासत करेंगे।

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इसके अलावा केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भी हिंसा की निंदा करते हुए इसकी जांच की मांग की है। भीमा-कोरेगांव लड़ाई दरअसल 1818 में पुण के कोरेगांव में भीमा नदी के पास लड़ी गई थी। ये जंग अंग्रेजों की महार रेजिमेंट और पेशवा बाजीराव द्वितीय के सैनिकों के बीच लड़ी गई थी। इस लड़ाई में अंग्रेजों की तरफ से 500 सैनिक थे, जिसने 450 महार सैनिक थे, वहीं पेशवा की तरफ से 28 हजार सैनिकों की फौज थी, लेकिन महार सैनिको ने शौर्य का परिचय देते हुए पेशवा की सेना को हरा दिया था। उसी के बाद से इस जंग की याद में शौर्य दिवस मनाया जाता है। इस लड़ाई की याद में एक स्मारक भी बनाया गया है, जहां महार सैनिकों के नाम लिखे गए हैं। ये शौर्य दिवस महाराष्ट्र के दलित गर्व के रूप में मनाते आए हैं।

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सोमवार से शुरू हुई हिंसा राज्य के कई इलाकों में फैल चुकी है। दलित और हिंदूवादी संगठन आमने-सामने आ गए हैं। वहीं मुंबई पुलिस का कहना है कि अभी तक 100 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। लोगों से अपील की जा रही है कि वो किसी भी तरह की अफवाह पर ध्यान ना दें। इसी मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता और भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने महाराष्ट्र बंद का एलान किया है। उनका कहना है कि समाज के एक तबके को दबाकर रखने की कोशिश की जा रही है। फिलहाल मुंबई और पुणे समेत राज्य के कई शहरों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। इस हिंसा में एक शख्स के मारे जाने की भी खबर है, जिसके परिजनों को मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस ने 10 लाख रूपये के मुआवजे का एलान भी किया है।