हम एबीडी के ग्लोरी को हमेशा याद रखेंगे

स्टेडियम में उतरने पर एबीडी-एबीडी-एबीडी का चियर लाखों लोग करते थे। लोग उसके दीवाने थे। बच्चो के फेवरिट।

New Delhi, May 24 : एबीडी ABD,True Chap
आप सोच सकते हैं कि अपने देश में जहां अपने नायक से हमारा हद तक का लगाव होता है, वहां लोग स्टेडियम में अपने नायक के सामने रहने के बाद भी दूसरे विदेशी खिलाड़ी को चियर करे। ऐसा होते हमने देखा है। टी-शर्ट खरीदते समय धोनी, कोहली और दूसरे बड़े भारतीय नायक की टी शर्ट लगी हो तो कोई बच्चा दूसरे विदेशी खिलाड़ी के नाम वाला टी शर्ट खरीदे, ऐसा भी देखा है।

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कभी सोचा है कि किसी विदेशी का खेल इतना भा जाए कि हम उसका खेल देखने के लिए अपनी टीम की हार भी सहने को तैयार रहें? ऐसा भी हुआ है। दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेटर एबी डिविलियर्स के साथ ऐसा हुआ। स्टेडियम में उतरने पर एबीडी-एबीडी-एबीडी का चियर लाखों लोग करते थे। लोग उसके दीवाने थे। बच्चो के फेवरिट। लेकिन जिस तरह उनकी बैटिंग में पता नहीं होता था कि वह अगला शार्ट किस तरह मारेंगे,उसी तरह आज कतई अहसास नहीं था कि क्रिकेट को छोड़ने की बात कह देंगे। महज दो दिन पहले जिस बंदे ने स्पाइडर मैन की तरह एक कैच लिया हो,वह यह कहे कि-अब वह थक गया तो मान लीजिये कि डेस्टीनी में उसके लिए कुछ और ही लिखा है। लेकिन एबीडी हम सबके सबसे पसंदीदा खिलाड़ी बने रहेंगे।

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एबीडी इतना लोकप्रिय क्यों रहा है? क्या सिर्फ खेल के कारण? नहीं खेल एक कारण है लेकिन एक इंसान के रूप में भी उसने दिल जीता। ab-de-villiers2उसने जिस खेल में भी किस्मत अाजमायी,उसके नेशनल टीम में जगह पायी। जब का टैलेंट रहा है।

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लेकिन एबीडी को अगर इसान के रूप में जानना है तो उसकी आत्मकथा पढ़ें। खुद को भगवान का बंदा बताते हुए उसने कई मौकों पर लिखा कि उसे भगवान का संदेश मिलता रहा है,उसने दो बार भगवान से बात की। वह अपने लिए अदृश्य ताकतों से आदेश लेता था। उनकी कही बात को मानता था। उसने लिखा कि भगवान की संगत ने उसे कई बार गलत दिशा की ओर से जाने से रोका। पाेजिटव उर्जा दी। जिस खुशी-आनंद से उसकी हम बैटिंग देखते हैं, उसकी जिंदगी की कहानी भी उतनी ही खूबसूरत है। वह भी उतनी ही उर्जा देती है।
इसमें एबीडी ने कहा है- These are great moments. I am grateful, but I never need to be reminded that it’s never my glory. It’s all His glory. I think I understand.”
हम एबीडी के ग्लोरी को हमेशा याद रखेंगे

(वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र नाथ के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)