अमित शाह का विरोध करिए, लेकिन उनके इस काम की तारीफ तो बनती है !

अमित शाह का सियासी विरोध हो सकता है, उन पर हमला भी किया जा सकता है। लेकिन उनकी मेहनत और काम करने के जज्बे की तारीफ तो हर कोई करता है।

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New Delhi, Aug 05: बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह राजनीति में आज के दौर के चाणक्य कहे जाते हैं। उनकी राजनीति का तरीका काफी आक्रामक माना जाता है। ये भी कहा जाता है कि वो अपने विरोधियों को बख्शते नहीं है। और भी कई तरह की बातें शाह को लेकर फैली हुई है। विरोधी दलों के निशाने पर अक्सर शाह रहते हैं। कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष को इस बात से परेशानी होती है कि शाह लगातार पूरे देश का दौरा कर रहे हैं। वो जहां जाते हैं वहां विपक्षी दलों में भगदड़ मच जाती है। यूपी और गुजरात इसका नमूना है। लेकिन कोई ये नहीं देखता है कि शाह कितनी मेहनत करते हैं। अगर आज बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा कर रही है। 18 राज्यों में एनडीए और बीजेपी की सरकार है तो इसके पीछे शाह की मेहनत है।

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पार्टी के कार्यकर्ताओं सो संवाद की जो कला शाह के पास है वो किसी के पास नहीं है। हालिया यूपी दौरे के दौरान ये बाखूबी देखने को मिला। प्रदेश में बीजेपी की प्रचंड बहुमत की सरकार है। इसके बाद भी अमित शाह ने बेहद सादगी भरे अंदाज में नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। उनके साथ कोई सरकारी तामझाम नहीं था। सुरक्षा के लिए भी ज्यादा पुलिस नहीं थी। शाह के रुकने का इंतजाम किसी फाइव स्टार होटल में नहीं बल्कि प्रदेश दफ्सर में ही किया गया था। ये उस शख्स के लिए हो रहा था जो इस समय देश में पीएम मोदी के बाद दूसरा सबसे ताकतवर सियासी शख्स माना जाता है। ये शाह का अंदाज है जिसके कायल बीजेपी के कार्यकर्ता हैं।

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यूपी दौरे की सबसे खास बात ये रही कि शाह ने पार्टी के सबसे निचले स्तर के कार्यकर्ताओं सो मुलाकात की। सोनू यादव का नाम शायद ही किसी ने इस से पहले सुना हो। अगर सुना भी होगा तो कोई तवज्जो नहीं दी होगी। लेकिन अब सोनू यादव एक जाना माना नाम है। जी हां यूपी में शाह ने सोनू यादव के घर न केवल खाना खाया बल्कि एक संदेश भी दे दिया। बीजेपी अध्यक्ष शाह के साथ साथख योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्या, दिनेश शर्मा जैसे तमाम बड़े लोग मौजूद थे। इनके आने की खबर सुनकर ही सोनू यादव और उनके मोहल्ले के लोग खुशी से झूम उठे। पार्टी के बूथ स्तर के कार्यकर्ता के घर राष्ट्रीय अध्यक्ष का आना बीजेपी के तमाम कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ा गया।

अमित शाह संगठन की ताकत को समझते हैं। इसलिए वो इस तरह के कार्यक्रम करते रहते हैं। इस से बीजेपी के कार्यकर्ताओं का जोश और उत्साह बरकरार रहता है। आज की राजनीति में नजर उठा कर देखें तो इस तरह का उदाहरण शायद ही दिखाई देता हो। यही कारण है कि शाह के इस काम के बाद विरोधी दलों में सन्नाटा पसर गया है। राहुल गांधी भी लोगों से मिलते हैं। लेकिन वो संवाद की कला में माहिर नहीं है। वहीं बाकी के विपक्षी दल सुविधा की राजनीति करते दिखाई देते हैं। बीजेपी अध्यक्ष शाह का विरोध हो सकता है लेकिन पार्टी को मजबूत करने की दिशा में उनकी मेहनत और तौर तरीकों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। सियासत कभी न खत्म होने वाली नौकरी है और शाह लगातार ये नौकरी बिना समय देखे किए जा रहे हैं। नतीजा सभी के सामने है।