बड़ा सवाल : अमीरों और पढ़े-लिखो से क्‍यों नहीं पड़ता ‘मुंहनुचवा’ और ‘चोटीकटवा’ का पाला ?

देश के चार राज्‍यों में इस वक्‍त ‘चोटीकटवा’ का आतंक मचा हुआ है। लेकिन, ये बात समझ में नहीं आ रही है कि आखिर खास किस्‍म के लोग ही क्‍यों शिकार बन रहे हैं।  

New Delhi Aug 06 : देश के चार राज्‍यों में इस वक्‍त गजब का माहौल बना हुआ है। हर ओर ‘चोटीकटवा’ का आतंक है। लोग कहते हैं कि पता नहीं कौन, कब और कहां से आता है और महिलाओं और लड़कियों की चोटियां काट कर चला जाता है। इन घटनाओं ने करीब 16-17 साल पुराने एक आतंक को फिर से जिंदा कर दिया है। उस वक्‍त आतंक काला बंदर का था। मुंहनुचवा का था। जिधर देखो वो अपने मुंह पर निशार दिखाता था और दावा करता था कि बंदर की शक्‍ल वाला आदमकद रहस्‍यमयी जानवर ने उनके मुंह पर हमला बोला। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ‘चोटीकटवा’ का आंतक सिर्फ गरीब, अंधविश्‍वासी और अनपढ़ लोगों के बीच भी क्‍यों देखने को मिल रहा है।

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आखिर क्‍यों ‘चोटीकटवा’ पढ़े-लिखे और हाईप्रोफाइल लोगों की बस्‍ती में नहीं घुस नहीं रहा है। आखिर क्‍यों इन इलाकों से कहानियां सामने नहीं आ रही हैं। अभी तक ‘चोटीकटवा’ की जो भी कहानियां सामने आईं हैं उसें ये घटनाएं उन महिलाओं के साथ ही हुईं हैं जो या तो अकेले में थीं या फिर बंद कमरे में थीं। असल में इस तरह की अफवाहों को मॉस हिस्‍टीरिया कहा जाता है। जिसमें अंधविश्‍वास में यकीन रखने वालों में इस तरह की बातों से उत्‍तेजना और तनाव का स्‍तर बढ़ जाता है। वो अपने चारों ओर उसी माहौल को महसूस करते हैं जैसा उन्‍होंने सुना होता है। उन्‍हें लगता है कि उनके साथ भी वैसा ही हो रहा है जैसी बाजार में कहानियां चल रही हैं। वो खुद इस मॉस हिस्‍टीरिया का हिस्‍सा बन जाते हैं।  

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इस तरह की घटनाओं का शिकार आखिरकार समाज में उपेक्षित वर्ग ही क्‍यों बनता है। ये भी बड़ा सवाल है। जबकि हकीकत ये है कि इस तरह की घटनाओं में किसी की शरारत भी हो सकती है। अगर दो मिनट के लिए ये बात मान भी ली जाए कि ये ‘चोटीकटवा’ कोई प्रेतीय शक्ति का काम है। तो फिर वहीं सवाल मुंह बाए खड़ा हो जाता है कि आखिर ये प्रेतीय शक्ति अमीर-गरीब, पढ़े लिखे और अनपढ़ों में भेद क्‍यों कर रही है। अगर ये हमला प्रेतीय शक्ति का है तो वो किसी की भी चोटी काट सकता है। लेकिन, आज तक एक भी ऐसी घटना सामने नहीं आई जिसमें कोई आफिस जाने वाली महिला या फिर पढ़ी लिखी घरेलू महिला ये दावा करे कि वो अचानक बेहोश हुई और उसकी चोटी कट गई।

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‘चोटीकटवा’ की कहानियों में प्राय: ये बात सामने आ रही है कि पीडि़त को सिर में तेज दर्द होता है और उसके बाद वो बेहोश हो जाती है। जब होश आता है तो ‘चोटीकटवा’ अपना काम पूरा कर चुका होता है। लेकिन, इस तरह की घटना में किसी भी व्‍यक्ति ने किसी भी महिला की चोटी कटते हुए नहीं देखा। इस तरह के केस में मजाक और शरारत की सौ फीसदी संभावनाएं हैं। बावजूद इसके अंधविश्‍वास में यकीन रखने वाले लोग अपने घरों के बाहर गाय के गोबर से लक्ष्‍मण रेखा बना रहे हैं। नींबू मिर्च टांग रहे हैं। ताकि प्रेतीय शक्ति ‘चोटीकटवा’ को भगाया जा सके। लेकिन जरा एक बार फिर सोचिए कि आखिर दैवीय शक्ति या फिर प्रेतीय शक्तियों का शिकार खास वर्ग की महिलाएं ही क्‍यों बन रही हैं।