ये राम मंदिर विवाद के खात्मे की शुरूआत है, शिया वक्फ बोर्ड को सलाम !

राम मंदिर विवाद पर शिया वक्फ बोर्ड का हलफनामा क्या इस विवाद के खात्मे की तरफ इशारा कर रहा है। ऐसा है तो ये शानदार शुरूआत है, इसका स्वागत करना चाहिए।

New Delhi, Aug 08: देश के पुराने और विवादित मुद्दों में से एक है अयोध्या का राम मंदिर विवाद। ये विवाद 1992 के बाद से लगातार सियासी गलियारों में घूम रहा है। राम मंदिर का मुद्दा बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। बीजेपी ने लगातार इस मुद्दे के सहारे राजनीति की है। लोकसभा चुनाव और यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने का वादा किया था। हालांकि बीजेपी ने इस में ये भी जोड़ा था कि वो संवैधानिक तरीके से राम मंदिर के निर्माण की कोशिश करेगी। बहरहाल अब केंद्र और यूपी दोनों जगह पर बीजेपी की सरकार है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस विवाद का हल निकल आएगा। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालने के बाद कई बार अयोध्या का दौरा किया।

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अब इस विवाद में एक नया मोड़ आ गया है। शिया वक्फ बोर्ड ने राम मंदिर विवाद में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है। इस हलफनामे में कहा गया है कि बाबरी मस्जिद शिया वक्फ थी। इसलिए इस मामले में दूसरे पक्ष के लोगों के साथ बातचीत से शांतिपूर्ण तरीके से समाधान निकालने का अधिकार उसके पास है। शिया वक्फ बोर्ड ने हलफनामे में कहा है कि विवादित जमीन पर राम मंदिर ही बनना चाहिए। उस से थोड़ी दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में मस्जिद का निर्माण कराया जाना चाहिए। इस हलफनामे ने पूरे विवाद को नया मोड़ दे दिया है। फौरन वो लोग सामने आए जो इस मामले से जुड़े हुए हैं। बता दें कि राम मंदिर विवाद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कई .याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग हैं। इन सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की बेंच का गठन किया है। ये बेंच 11 अगस्त से राम मंदिर विवाद को लेकर लगातार सुनावई करेगी। शिया बोर्ड का कहना है कि अगर उनके बताए अनुसार मंदिर और मस्जिद का निर्माण हो जाता है तो ये मुद्दा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा और रोज रोज के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी। शिया बोर्ड के इस हलफनामे पर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के जफरयाब गिलानी ने कहा कि ये केवल एक अपील है, इस हलफनामे की कोई कानूनी मान्यता नहीं है। वहीं बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि ये शिया बोर्ड का हलफनामा भगवान की आवाज है।

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तो क्या ये मान लेना चाहिए कि ये राम मंदिर विवाद के खात्मे का समय है। देर से ही सही लेकिन ये विवाद खत्म होता दिखाई दे रहा है। हालांकि ये कहना अभी जल्दबाजी होगी। अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होनी बाकी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राम मंदिर विवाद पर 2010 में एतिहासिक फैसला सुनाया था। उसके मुताबिक कोर्ट ने इस भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच तीन हिस्सों में बराबर-बराबर बांटने का निर्देश दिया था। अब शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने कहा है कि ये मस्जिद अयोध्या में बाबर के समय मीर बकी द्वारा बनवाई गई शिया मस्जिद थी। इसलिए हमारा पक्ष सबसे मजबूत है और हलफनामे के मुताबिक राम मंदिर विवादित जमीन पर ही बनना चाहिए। अब देखना है कि इस हलफनामे का इस मामले पर क्या असर पड़ता है। सभी लोग उम्मीद कर रहे हैं कि ये मामला जल्द से जल्द सुलझे।