नॉर्थ कोरिया और डोकलाम, दो रास्ते, दोनों ही में ड्रैगन के विनाश की तस्वीर !

चीन को दुष्ट राष्ट्रों से इतना मोह क्यों है. अपनी ताकत के नशे में चूर ड्रैगन अपने ही जाल में फंस कर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के सामने खलनायक बनता जा रहा है।

New Delhi, Aug 12: दुनिया में इन दिनों दो मुद्दों पर जमकर चर्चा हो रही है। खास बात ये है कि इन दोनों मुद्दों से जंग की आशंका बढ़ती जा रही है। उस से भी खास बात ये है कि इन दोनों ही मुद्दों का संबंध चीन से है। ये काफी है समझने के लिए कि चीन किस रणनीति पर काम कर रहा है महाशक्ति बनने की उसकी हवस उसे ऐसे मोड़ पर ले जा रही है जहां से एक रास्ता विनाश की तरफ जाता है तो दूसरी रास्ता हवाई आत्म सम्मान को तोड़ता है। जाहिर है कि चीन अपने हवाई आत्म सम्मान के लिए दूसरे रास्ते पर नहीं चलेगा। वो पहले रास्ते पर चल रहा है। एक तरफ डोकलाम विवाद के जरिए वो भारत पर दबाव बना रहा है। तो वहीं दूसरी तरफ नॉर्थ कोरियो को छूट दे रखी है कि वो अमेरिका की नाक में दम करके रखे।

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ये सभी को पता है कि नॉर्थ कोरिया ओर दुष्ट राष्ट्र है। जिसके खिलाफ संयुक्त राष्ट्र और दुनिया के कई देशों ने कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं। इन प्रतिबंधों से उत्तरी कोरिया की माली हालत लगातार खराब होती जा रही है। मगर मजाल है कि वहां के तानाशाह किम जोंग के माथे पर शिकन आए। उसकी हथियारों की भूख बढ़ती जा रही है। तमाम प्रतिबंधों के बाद भी वो लगातार मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है। परमाणु हथियार उसने पहले ही बना लिए हैं। अब तो वो सीधी और खुली धमकी दे रहा है। किम जोंग गुआम द्वीप में अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर मिसाइल हमला करने के लिए तैयारी कर रहा है। अब ये समझने वाली बात है कि चीन उत्तरी कोरिया को रोकता क्यों नहीं है।

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दरअसल ड्रैगन नॉर्थ कोरिया को रोक कर अमेरिका की मुश्किल आसान नहीं करना चाहता है। वो चाहता है कि अमेरिका उत्तरी कोरिया के साथ उलझा रहे। ऐसा करके चीन खुद महाशक्ति बनना चाहता है। इसके लिए वो एशिया में एक और ताकतवर देश भारत के साथ उलझ रहा है। यहां पर गौर करने वाली बात ये है कि ड्रैगन लगातार भारत को जंग की धमकी दे रहा है। उसकी धमकियां बचकानी होने के साथ साथ गैर जरूरी भी हैं। इन धमकियों से चीन का असली चेहरा सामने आ रहा है। वो विस्तारवादी नीति पर कामं कर रहा है। ऐसा क्या कारण है कि चीन का अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद है। दरअसल अब चीन की ताकत उसके लिए कमजोरी बनती जा रही है। उसके लिए जरूरी है कि वो अपनी ताकत दुनिया को दिखाए।

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इसी कुंठा में वो बेतरतीब फैसले ले रहा है। भारत के साथ डोकलाम विवाद तो चीन की इसी कुंठा का नतीजा है। डोकलाम भूटान का हिस्सा है। चीन उस पर जबरदस्ती अपना दावा जताता है। डोकलाम में चीन का दखल भारत के लिए खतरनाक है। इसलिए भारत ने ड्रैगन के मंसूबों के परवान चढ़ने से पहले ही उसे जमीन पर उतार दिया। चीन को भारत से इतने स्ट्रॉन्ग रिएक्शन की उम्मीद नहीं थी। उसे लगा था कि ताकत का घमंड दिखा कर वो भारत को आसानी से झुका लेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, अब चीन के लिए मजबूरी ये है कि वो अपने कदम आगे भी नहीं बढ़ा पा रहा है और पीछे भी नहीं कर पा रहा है। अगर चीन ने भारत पर हमला किया या फिर उत्तरी कोरिया पर अमेरिका ने हमला किया तो दोनों ही सूरतों में चीन पूरी दुनिया के लिए खलनायक बन जाएगा। अमेरिका भारत का पक्ष लेगा और चीन कोरिया का पक्ष लेगा। तो अब समझे आप कि चीन किस तरह से अपने ही जाल में उलझ के रह गया है। इसलिए वो छटपटा रहा है।