गोरखपुर : ये लापरवाही कर्तव्यनिष्ठ CM योगी को फ़ेल कराने की साज़िश का हिस्सा तो नहीं ?

गोरखपुर : योगी सरकार में कुछ मंत्री ऐसे हैं जिनके ‘लिंक’ सीधे दिल्ली से है और वे CM योगी की नहीं सुनते, उनकी ख़ुफ़ियागिरी करते हैं।

New Delhi, Aug 12 : गोरखपुर के सरकारी BRD अस्पताल में पिछले 48 घंटे में 30 अबोध बच्चों की Japanese Encephalitis से मौत हो गयी। ये बच्चे अधिकतर ग़रीब परिवारों के हैं, लाचार माँ-बाप का बेबसी से बुरा हाल है । ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कम्पनी का 66 लाख रुपये विभाग से भुगतान नहीं किया, इसलिए अस्पताल की ऑक्सीजन काट दी गयी थी और 30 बच्चों की मौत हो गयी। दो दिन पूर्व ही CM योगी के इस अस्पताल का दौरा किया था और अस्पताल प्रशासन ने उनसे यह बात छुपाई गयी। अस्पताल ने कहा कि शासन ने हमें बजट नहीं दिया। CM योगी के दौरे का क्या लाभ हुआ ?

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इस अस्पताल के इस वार्ड में गुरुवार रात 11.30 बजे से ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित हो गई थी। ये सिलसिला सुबह 9 बजे तक चलता रहा। इसकी वजह से 30 बच्चों ने तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया।
हर साल दिमाग़ी बुखार से 500-600 बच्चों की मौत होती है तो क्यों चिकित्सा मंत्री/चिकित्सा शिक्षा मंत्री व प्रमुख सचिव चिकित्सा ने कोई पूर्व तैयारी बैठक नहीं की, पर्याप्त बजट नहीं दिया? प्रमुख सचिव चिकित्सा से लेकर अस्पताल प्रशासन व DM को तत्काल निलम्बित किया जाए। पिछले 4 दिन से इस अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई की कमी की सूचना छप रही थी। CM योगी ने अस्पताल के भ्रमण के समय कहा था कि ‘अधिकारी सुधार जाएं नहीं तो ठीक कर दिया जाएगा’। प्रदेश में CM योगी की अधिकारियों की बार-बार फटकार का कोई असर नौकरशाही पर नहीं हो रहा है।

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ये बच्चे ग्रामीण क्षेत्र के ग़रीब परिवारों के है, VIP परिवारों के नहीं है। VIP परिवारों को तो सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर घर जाकर देखते हैं, विशेष तवज्जो मिलती है। उत्तर प्रदेश में Japanese Encephalitis यानी दिमाग़ी बुखार का प्रकोप पूर्वांचल व तराई के 38 जनपदों में है। CM योगी के इस बीमारी के लिए टीकाकरण की शुरुआत कुशीनगर से की थी और कहा था कि 10 जून तक सभी बच्चों को इसका लाभ मिल जाना चाहिए लेकिन कार्यवाही के नाम पर कुछ नहीं हुआ। विभागीय अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। जब ‘दिमाग़ी बुखार’ हर वर्ष बच्चों पर क़हर बनकर टूटता है तो स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह व चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने गोरखपुर जाकर इस पूर्वांचल के सबसे बड़े अस्पताल का भ्रमण क्यों नहीं किया गया, व्यवस्था क्यों नहीं देखी, ऑक्सीजन सप्लाई तक के लिए पर्याप्त बजट क्यों नहीं दिया ?

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क्या स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह व चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन इसकी नैतिक ज़िम्मेदारी लेंगे और अपने पद से इस्तीफ़ा देंगे ? योगी सरकार में कुछ मंत्री ऐसे हैं जिनके ‘लिंक’ सीधे दिल्ली से है और वे CM योगी की नहीं सुनते, उनकी ख़ुफ़ियागिरी करते हैं। शायद इसी लिए CM योगी को स्वयं अस्पताल जाना पड़ा, मंत्री नहीं गए ? कहीं यह लापरवाही कर्तव्यनिष्ठ CM योगी को फ़ेल कराने की शाज़िश का हिस्सा तो नहीं ? देखते है कि दोषियों पर अपनी ‘धुन के पक्के’CM योगी का कितना प्रबल ‘डंडा’ चलता है ? ख़ाली नौकरशाही को ही नहीं ‘राजनैतिक’ नेतृत्व को भी ज़िम्मेदार ठहराना होगा, उनके ख़िलाफ़ भी कार्यवाही करनी होगी।

(रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)