शरद यादव ने खुद पिटवाई है अपनी भद, JDU पर बन गए हैं बोझा !

भारतीय जनता पार्टी के नेता चाहते हैं कि शरद यादव और नीतीश कुमार का रिश्‍ता ना टूटे। लेकिन, उनके सियासी कर्मों ने उन्‍हें JDU पर बोझा बना दिया है।  

New Delhi Aug 13 : मुझे आज भी वो दिन ध्‍यान है। जब नीतीश कुमार ने बिहार में महागठबंधन तोड़ने का एलान किया था। भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार बनाने की बात कही थी। उसी दिन से शरद यादव कोप भवन में जा बैठे थे। ये बात भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भी पता थी। शरद बाबू को मनाने की तमाम कोशिशें की गईं थीं। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं की ओर से नीतीश कुमार को ये प्रस्‍ताव भी दिया गया था कि वो शरद यादव को केंद्रीय कैबिनेट में एडजस्‍ट करा सकते हैं। नीतीश कुमार भी चाहते थे कि उनके और शरद यादव के संबंध बने रहें। लेकिन, शरद बाबू के दिमाग में तो बीजेपी की खिलाफत और लालू का प्रेम सवार था। इसके आगे ना उन्‍हें कुछ दिख रहा था और ना ही सुनाई पड़ रहा था।

Advertisement

पता नहीं क्‍यों शरद यादव को भविष्‍य की बेहतर राजनीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छोड़कर भ्रष्‍टाचार के आरोपों में सिर से लेकर पैर तक सने हुए लालू यादव की वकालत करने में दिखाई पड़ रही थी। हो सकता है कि उनका ये फैसला उनके लिए बेहतर हो। उन्‍हें जो ठीक लग रहा है वो कर रहे हैं। अब नीतीश कुमार को जो ठीक लग रहा है वो कर रहे हैं। जेडीयू के बागी नेता अली अनवर को नापा जा चुका है। शरद यादव से राज्‍यसभा की लीडरशिप ली जा चुकी है। देर-सवेर पार्टी से भी राम-राम हो ही जाएगी। दरअसल, शरद यादव इस वक्‍त जेडीयू के लिए बोझा बन गए हैं। जिस वक्‍त शरद बाबू का गुस्‍सा उफान पर था उस वक्‍त भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने उन्‍हें खूब मनाने की कोशिश की थी।

Advertisement

बाद में तय हुआ था कि केंद्रीय वित्‍त मंत्री और रक्षा मंत्री अरुण जेटली के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के अध्‍यक्ष अमित शाह भी शरद यादव को मनाएंगे। उनसे फोन पर बात करेंगे। जरुरी हुआ तो मुलाकात भी कर लेंगे। लेकिन, तब तक पानी सिर से ऊपर निकल चुका था। उसी दौरान नीतीश कुमार ने पटना से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक फोन किया था। जिसमें उन्‍होंने स्‍पष्‍ट शब्‍दों में कह दिया था कि अब शरद बाबू को मनाने की कोई जरुरत नहीं है। वैसे भी ये उनकी पार्टी का अंदरुनी मसला है। जिसमें भारतीय जनता पार्टी के लोग दखल ना दें। वो लगातार पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर बयानबाजी कर रहे हैं। ऐसे में बेहतर यही होगा कि अब उन्‍हें अपनी राह चुन लेनी चाहिए।

Advertisement

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के बीच फोन पर हुई इस बात ये भी कहा गया था कि शरद यादव अब जेडीयू के लिए बोझा बन गए हैं। इस फोन कॉल के बाद बीजेपी के किसी भी बड़े नेता ने शरद बाबू से कोई संपर्क नहीं किया। जबकि वो शरद बाबू इस इंतजार में थे उनके मान-मनौव्‍वल का दौर अब भी जारी रहेगा। अब सब खत्‍म हो चुका है। खुद शरद यादव ने ही खत्‍म कर लिया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या शरद ने खुद अपनी भद पिटवाई है। आखिर ऐसा क्‍या है कि लालू यादव में जो वो उनके साथ जाने को उतावले हैं। दरअसल, इस वक्‍त नेताओं को ये बात जरुर समझ लेनी चाहिए कि वो जिन जनता को ढाल बनाकर अपनी चाल चलते हैं अब वो जनता बहुत सयानी हो गई है। अब उसकी नजर खबरों से पीछे की खबर पर रहती है।