डोकलाम पर भारत को धमकी देकर फंस गया है चीन, ना बीजिंग का रहा, ना दिल्‍ली का !

डोकलाम पर पिछले करीब दो महीने से बवाल मचा हुआ है। चीन धमकी तो दे रहा है लेकिन, कुछ कर नहीं पा रहा है। वो अपनी ही चाल में बुरी तरह फंस गया है।

New Delhi Aug 15 : 16 जून को डोकलाम का विवाद शुरु हुआ था। करीब दो महीना होने को हैं। ना तो विवाद शांत हुआ है और ना ही इस सेक्‍टर में दोनों देशों के बीच की तनातनी। दरअसल, डोकलाम मसले पर चीन अपनी ही चाल में बुरी तरह फंस गया है। 16 जून से लेकर अब तक चीन भारत को पचासियों धमकी दे चुका है। लेकिन, भारत चुपचाप अपने काम में मगन है। कोई शोर-शराबा नहीं है। हथियारबंद सेना पूरी मुस्‍तैदी के साथ डोकलाम सेेक्‍टर में तैनात है। जबकि चीन गोली चलाने से लेकर बम मारने तक की धमकी दे चुका है। इसका असर क्‍या हुआ भारत पर ? कुछ भी नहीं। बल्कि उल्‍टे चीन ही अपने ऊल-जलूल बयानों में उलझता और फंसता जा रहा है। अब चीन का कहना है कि भारत ने यहां पर गलत आकलन किया है। जिसके चलते भारतीय फौज उसकी सीमा में घुस आई है। ऐसे में भारत को शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी।

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यानी चीन ये कहना चाहता है कि भारत उसकी सीमा मेंं अवैध रुप से घुस आया है। भारतीय फौज की ओर से मिसकैलकुलेशन हुआ है। चीन कह रहा है कि हमारी मिलेट्री और इकोनॉमिक पावर ज्‍यादा है इसलिए हम आसानी से हथियार नहीं डालेंगे। लेकिन, इसके साथ ही एक और खास बात है तो चीन के सरकारी अखबार पीपुल्‍स डेली में कही गई है वो ये है कि चीन को डोकलाम में और भी बुरी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। दरसअल, भारत ने इस मसले पर काफी मैच्‍युरिटी दिखाई है। भारत की ओर से डोकलाम पर जमीन से हटकर कोई भी फालतू की बयानबाजी नहीं की गई। ऐसी सूरत में ना तो भारत को डीेंगे हांकने की जरुरत पड़ रही है और ना ही अपने बयान से मुकरना पड़ रहा है।

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लेकिन, चीन इन दोनों ही बातों से जूझ रहा है। चीन के सरकारी मीडिया ने बीजिंग से लेकर डोकलाम तक ऐसा माहौल बना दिया कि मानो बस अब युद्ध हुआ कि तब हुआ। लेकिन, हो कुछ नहीं रहा है। एक ओर तो चीनी मीडिया भड़काऊ बयानबाजी करके दिल्‍ली से दूरी बना रही है दूसरी ओर अपने देश में भी लोगों का विश्‍वास खो रही है। चीन के लोगों को भी होता-जाता कुछ दिख नहीं रहा है बस अखबारों में होती हुई बतोलेबाजी खूब दिख रही है। चीन के अखबारों में मिसाइल से लेकर परमाणु बम तक फोड़े जा रहे हैं। लेकिन, डोकलाम में छुर‍छुरिया तक नहीं छूट रही है। शायद इसीलिए अभी हाल ही में यूएस नेवल वॉर कॉलेज में डिफेंस स्ट्रैटजी के प्रोफेसर जेम्स आर. होम्स ने कहा था कि डोकलाम विवाद में भारत का रुख एकदम ठीक है।

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प्रोफेसर जेम्स आर. होम्स कहते हैं कि हिंदुस्‍तान की फौज न तो विवादित इलाके से वापस आ रही हैं और न ही वह चीन की धमकियों को कोई जवाब दे रहा है। हिंदुस्‍तान यहां पर एक एक मैच्योर पावर की तरह बर्ताव कर रहा है। जबकि चीन किसी नासमझ की तरह बयानबाजी कर रहा है। इसी बयानबाजी में चीन अब खुद ही फंस गया है। वो अपने ही देश में मुंह दिखाने काबिल नहीं रहा है। कल को जब चीन की जनता वहां की सरकार से पूछेगी कि डोकलाम पर क्‍या हुआ तो उसके पास जवाब देने को कुछ नहीं होगा। यहां विवाद बेवजह का है। उसे समझ लेना चाहिए कि अगर यहां से पीछे हटेंगी तो दोनों देशों की सेनाएं एक साथ हटेगी। चीन की गीदड़भभकी और दादागिरी किसी भी सूरत में नहीं चलेगी।