योगी जी यूपी के जिन मदरसों में नहीं हुआ राष्‍ट्रगान वहां लगा दीजिए ‘रासुका’ !

यूपी में योगी सरकार ने आदेश दिया था कि सभी मदरसों को स्‍वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराना होगा और राष्‍ट्रगान भी गाना होगा। जिसकी वीडियोग्राफी जरुरी है।   

New Delhi Aug 17 : मेरा आप सभी से हाथ जोड़कर निवेदन है कि इस मसले को सांप्रदायिक रंग मत दीजिएगा। हिंदू-मुस्लिम से मत जोडि़एगा। अगर आपकी जानकारी में ऐसा कोई स्‍कूल है जो तिरंगा फहराने से परहेज करता है। या फिर वहां राष्‍ट्रगान नहीं गाया जाता है तो आप बेशक इसकी जानकारी सरकार को दे सकते हैं। माध्‍यम हम भी हो सकते हैं। माध्‍यम फेसबुक भी हो सकता है, माध्‍यम ट्विटर भी हो सकता है। संचार के दूसरे साधन भी हो सकते हैं। ये कड़वा सच है कि तिरंगे और राष्‍ट्रगान के खिलाफ कई मदरसों की ये कहानी बहुत पुरानी है। वो हमेशा से तिरंगा फहराने से परहेज करते हैं। उन्‍हें राष्‍ट्रगान गाने पर एतराज रहता है। शायद यही वजह थी कि इस बार योगी सरकार ने यूपी के मदरसों के लिए आदेश जारी करना पड़ा।

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जिसमें कहा गया था कि स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रदेश के सभी सरकारी सहायता प्राप्‍त मदरसों को तिरंगा फहराना जरुरी होगा। जन-गण-मन भी गाना होगा। जिसकी वीडियाेग्राफी भी होगी। बावजूद इसके कई जगहों से ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि कुछ मदरसों में ये सब नहीं हुआ। जिसकी खबर सरकार तक पहुंच चुकी है। सरकार ऐसे मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की भी तैयारी कर रही है। कार्रवाई होनी भी चाहिए। यहां ये बात हर किसी को समझ लेनी चाहिए चाहें वो हिंदू हो, मुसलमान हो, सिख हो या ईसाई हो, उसकी जातिगत पहचान बाद में है पहले वो भारतीय है। हर भारतीय का ये कर्तव्‍य है कि वो तिरंगे और राष्‍ट्रगान का पूरा सम्‍मान करे। वो भी दिल से। सम्‍मान दिखावे का ना हो।

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हम आपसे एक सवाल पूछते हैं अगर हिंदुस्‍तान के किसी व्‍यक्ति के दिल में तिरंगे और राष्‍ट्रगान के प्रति सम्‍मान नहीं है तो इसका क्‍या मतलब है ? उसे आप क्‍या कहेंगे ? अगर काई व्‍यक्ति अपने माता पिता का आदर नहीं करता है उसका सम्‍मान नहीं करता है, तो वो उनके साथ कैसा सलूक करेगा, जवाब आपको खुद मिल जाएगा। इस बात को जातिगत दायरे में नहीं बांधा जा सकता है। स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर बरेली के भी कुछ मदरसों में ना तो ध्‍वजारोहण हुआ और ना ही वहां राष्‍ट्रगान गाया गया। जिसकी शिकायत वहां के कमिश्‍नर को मिल चुकी है। बरेली के डिवीजनल कमिश्नर पीवी जगन मोहन का कहना है कि उन्‍हें शिकायतें मिली हैं। लेकिन, सबूत भी चाहिए। अगर सबूत मिलते हैं कि ऐसे मदरसों के खिलाफ राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई होगी। यानी उन पर रासुका लगाई जाएगी।

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सरकार नहीं चाहती है कि इस मामले को बेवजह तूल दिया जाए या फिर किसी को खामखां परेशान किया जाए। लेकिन, इतना जरुर है कि सबूत मिलने पर रासुका की कार्रवाई तय है। जो होनी भी चाहिए। इस तरह की कार्रवाई मिसाल पेश कर सकती है। पता नहीं क्‍यों कुछ काजी और मौलानाओं को राष्‍ट्रगान गैरइस्‍लामी लगता है। ऐसे लोगों को अल्लामा इकबाल का लिखा ‘सारे जहां से अच्छा हिंदुस्‍तां हमारा’ तो ठीक लगता है लेकिन, जन-गण-मन गैरइस्‍लामी नजर आता है। आप सभी से हाथ-पैर जोड़कर निवेदन है कि देशभक्ति को इस्‍लामिक और गैरइस्‍लामिक मत बनाइए। देश की सरहद की हिफाजत करते वक्‍त इंडियन आर्मी का सिपाही ये कभी नहीं सोचता कि उसकी शहादत इस्‍लामिक होगी या गैरइस्‍लामिक। उसका महजब देश है। शहादत सिर्फ देश के लिए होती है। जिसमें हिंदू सिपाही भी शामिल होते हैं और मुस्लिम सैनिक भी। फिर देश के भीतर ये अलगाववाद क्‍यों ?