नहीं थम रहा मासूमों की मौत का सिलसिला !

यह सत्य है कि पूर्व सरकारों ने अधिक लेकिन इस सरकार ने भी कुछ लापरवाही तो बरती है। इस सरकार में भी इस महामारी से निबटने की पूर्व पर्याप्त तैयारी नहीं की गयी।

New Delhi, Aug 18 : BRD अस्पताल में 13 अगस्त की आधी रात से लेकर 14 अगस्त तक 24 मासूमों ने अपनी जान गंवाई तो वहीं 14 अगस्त की आधी रात से लेकर 15 अगस्त तक 10 बच्चों की मौत हुई। यद्यपि मौतों के आंकड़े को छुपाने का भरसक प्रयास किया जा रहा है। लेकिन ये आंकड़े अस्पताल के रिकॉर्ड से प्राप्त किए गए हैं। BRD अस्पताल में व्यवस्थाओं में इतनी ख़ामियां है कि किस-किस को दोष दें। गंदगी, भ्रष्टाचार, डॉक्टर्स की कमी आदि। इस अस्पताल से कई बाल रोग विशेषज्ञों को पूर्व सरकार ने सैफ़ई भी अटैच किया गया था जबकि इस अस्पताल में पहले से ही बच्चों के डॉक्टर्स की कमी थी।

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यह सत्य है कि पूर्व सरकारों ने अधिक लेकिन इस सरकार ने भी कुछ लापरवाही तो बरती है। इस सरकार में भी इस महामारी से निबटने की पूर्व पर्याप्त तैयारी नहीं की गयी। प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों (PHCs/CHCs) पर इसके इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है और दूरस्थ स्थानों से भी गोरखपुर भागना पड़ता है। अतः दूर दराज़ से बीमार बच्चों को गोरखपुर पहुंचने में देर भी हो जाती है, गोरखपुर मंडल क्या, पूरे प्रदेश का एंबुलेंस सिस्टम भी लगभग फ़ेल है। BRD अस्पताल पहुंचते-पहुंचते बच्चा मरणासन्न स्थिति में आ जाता है। कोई बस से तो कोई इक्का टांगे या साईकिल से बामुश्किल BRD अस्पताल पहुंच पाता है। पूरे पूर्वांचल की Encephalitis बीमारी के लिए BRD ही एक मात्र ‘विशेषज्ञ’ सुविधा है।

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इस विवाद में न जाकर कि पूर्व वर्षों में इस वर्ष से कम बच्चे मरे है या ज़्यादा, कोई लाभ नहीं है। जनमानस ने इस सरकार को इसी आशा से वोट दिया था कि पूर्व सरकार न तो पर्याप्त नहीं किया इस लिए उसे हटा दिया और आपको लाए, अतः अब आप करके दिखाओ। बच्चों का संहार रुकना चाहिए। ख़ाली बातों से या पूर्व सरकारों को दोष देने से अब लम्बे समय तक काम नहीं चलेगा।
योगी सरकार को इन लगातार हो रही मौतों को रोकना होगा और इन मौतों की पूर्ण ज़िम्मेदारी चिकित्सा शिक्षा मंत्री, व प्रमुख सचिव को लेकर दंड स्वरूप में कुछ न कुछ प्रायश्चित करना चाहिए।

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तैयारियों में कमी को ईमानदारी से स्वीकार करना चाहिए आख़िर इतने अधिक अबोध नवजात शिशुओं की मृत्यु से पूरा प्रदेश क्या पूरा देश दुःखी है।gorakhpur62
क्या कार्यवाही हो और किस पर हो, यह ‘सत्ता शीर्ष’ के निर्णय पर निर्भर करता है लेकिन कार्यवाही तो होनी बनती है।

(रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)