बिहार में घोटाले के ‘सृजन’ की पूरी कहानी, इस हमाम में हर कोई नंगा है !

देश में घोटालों की कहानियां नई नहीं हैं। जिसको मौका मिला उसने देश को लूटा। चाहें वो बिहार में लालू यादव का चारा घोटाला हो या फिर सृजन घोटाला।

New Delhi Aug 19 : कहते हैं कि हमाम में हर कोई नंगा होता है। घोटालों के हमाम में भी बिना कपड़ों के नेताओं की भीड़ है। आज झगड़ा इस बात का नहीं है कि घोटाला किसने किया और क्‍यों किया। आज झगड़ा इस बात पर हो रहा है कि तुम हमने बड़े घोटालेबाज हो। छोटे और बड़े घोटालेबाजों की जंग चल रही है। बिहार की राजनीति में कई घोटाले उजागर हो चुके हैं। चारा घोटाले से लेकर सृजन घोटाले तक की सर्जरी हो चुकी है। जिसमें चारों ओर सिर्फ गंध ही निकलती है। कल तक मिट्टी घोटाला, फ्लैट घोटाला, प्‍लॉट घोटाला लालू के लिए सिरदर्द बना हुआ था तो वहीं आज 1000 करोड़ का सृजन घोटाला नीतीश कुमार को परेशान कर रहा है। हालांकि वो इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर चुके हैं।

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लेकिन, सृजन घोटाले ने बिहार की राजनीति को एक बार फिर से गरमा दिया है। जिसकी तपिश नीतीश कुमार और सुशील मोदी के चेहरों पर साफ दिखाई दे रही है। लालू प्रसाद यादव इस सृजन घोटाले के लिए नीतीश कुमार और सुशील मोदी को ही जिम्‍मेदार बता रहे हैं। जबकि सत्‍ता पक्ष से इन आरोपों को बेबुनियाद बताया जा रहा है। बहरहाल, सीबीआई इस मामले की जांच करेगी और दूध का दूध और पानी का पानी करेगी। लेकिन, जिन लोगों को नहीं मालूम है उन लोगों को बिहार के सृजन घोटाले के बारे में जान लेना चाहिए। दरअसल, ये घोटाला साल 2015 का है। तब भी नीतीश कुमार की सरकार थी। वो ही प्रदेश के मुख्‍यमंत्री थे। उस वक्‍त बीजेपी नेता सुशील मोदी बिहार के वित्‍त मंत्री हुआ करते थे।

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लालू प्रसाद यादव कहते हैं कि नीतीश कुमार ने सुशील मोदी की मदद से इस घोटाले को अंजाम दिया। उन्‍होंने इसमें बीजेपी के कई बिहारी और बड़े नेताओं का भी नाम गिना दिए। ये पूरा मामला बिहार के भागलपुर का है। यहां सृजन महिला सहयोग समिति नाम की संस्था में पूरे 1000 करोड़ रुपए के घोटाले की बात सामने आई। ये संस्‍था बिहार में महिलाओं को स्‍वरोजगार देने और उन्‍हें सशक्‍त बनाने के नाम पर चलाई जा रही थी। जिसमें महिलाओं से हैंडलूम, साडि़यां, पापड़ और मसाले बनवाए जाते थे। ये घोटाला सामने कैसे आया ये भी जरा जान लीजिए। दरअसल, इस महीने के शुरुआत में बिहार सरकार के खाता से ट्रांसफर की गई धनराशि से जुड़ा एक चेक बाउंस हो गया। जिसके बाद ये सारी कहानी समाने आई।

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सृजन महिला सहयोग समिति की स्‍थापना मनोरमा देवी नाम की एक महिला ने किया था। ये संस्‍था आचार, पापड़ और मसाले बनाने की आड़ में सरकारी खजाने से करोड़ों रुपए का हेरफेर कर रही थी। ये खेल 2007 से चल रहा है। लेकिन, अब मनोरम की मौत हो चुकी है। आरोप है कि इस घोटाले में बैंक के अफसर और ट्रेजरी के अधिकारी भी शामिल हैं। जो गुपचुप तरीके से सरकारी खजाने से पैसों की चोरी करते थे। जैसे चारा घोटाले में हुआ था। सरकारी विभागों से जारी होने वाले चेकों पर इस संस्‍था का अकाउंट नंबर डाला जाता था। जाहिर है सीबीआई इस घोटाले के परत-दर-परत उधेड़ कर रख देगी। लेकिन, सालों से सरकार को NGO के नाम पर और आचार-पापड़ के नाम पर चूना लगाया जाता रहा और उसे पता तक नहीं चला। वाकई हैरत की बात है। इंतजार इस बात का भी रहेगा कि बड़ा खेल छोटे स्‍तर पर हुआ या इस घोटाले का स्‍तर भी पहले से ही बड़ा ही था।