1 हफ्ते में मोदी से 2 बार मिले हुड्डा, हरियाणा कांग्रेस में सियासी ‘सुनामी’ का खतरा !

हरियाणा कांग्रेस में सियासी सुनामी के संकेत मिल रहे हैं। 1 हफ्ते के दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 2 बार पीएम मोदी से मुलाकात की, इसमें नीतीश कुमार का भी रोल है।

New Delhi, Aug 20: कांग्रेस अपनी गलतियों से सबक सीखने को तैयार नहीं है, गांधी परिवार कांग्रेस की धुरी है, इसी धुरी के इर्द गिर्द नेता चक्कर लगाते हैं, लेकिन वो ये भूल जाते हैं, लोकतांत्रिक देश में इस तरह से परिवारवाद को बढ़ावा देना पार्टी के लिए कितना नुकसानदेह हो सकता है। पार्टी के कई नेताओं की आवाज सुनी ही नहीं जाती है, जिस नेता की नजदीकी 10 जनपथ से है वो मस्त, बाकी पस्त। जिन राज्यों में कांग्रेस के हाथ से सत्ता गई है उनमें एक है हरियाणा, जहां चुनावी हार के बाद से ही कांग्रेस में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। खेमेबाजी इस कदर है कि सार्वजनिक तौर पर नेता एक दूसरे के खिलाफ बोलते रहते हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर के बीच शह और मात की जंग जारी है।

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अशोक तंवर की नजदीकी गांधी परिवार से ज्यादा है, लिहाजा वो इस जंग में भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं। दोनों ही खेममों की तरफ से एक दूसरे पर हमला किया जा रहा है। अब इस जंग में नया मोड़ आने वाला है, भूपेंद्र सिंह हुड्डा जो कमजोर और सियासी रूप से किनारे होते दिख रहे हैं, वो अपनी रणनीति को बदल रहे हैं। हुड्डा को कांग्रेस में अपना भविष्य अंधकार में दिख रहा है। सूत्रों के मुताबिक हुड्डा अब बीजेपी की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं। दरअसल हुड्डा और बीजेपी एक दूसरे के लिए एकदम परफेक्ट साबित हो सकते हैं। क्यों ये हम आपको बताएंगे, दरअसल हरियाणा में बीजेपी को एक कद्दावर जाट नेता की जरूरत है, हुड्डा की जाटों पर अच्छी पकड़ मानी जाती है।

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हुड्डा अगर बीजेपी में आते हैं तो ये बीजेपी के लिए फायदे का सौदा होगा। इस से पहले लोकसभा चुनाव के दौरान राव इंद्रजीत और चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस को झटका देकर बीजेपी का दामन थामा था। दोनों आज केंद्र में मंत्री हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा राज्य की सियासत करते हैं, ऐसे में अगर वो बीजेपी में आते हैं तो बीजेपी उनका इस्तेमाल राज्य के जाट वोटरों को लुभाने में कर सकती है। ये सारी अटकलें ऐसे ही नहीं लग रही हैं। इसके पीछे का कारण ये है कि एक हफ्ते के अंदर हुड्डा ने 2 बार पीएम मोदी से मुलाकात की है। इसी के बाद से कयास लगने शुरू हुए हैं कि वो बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।

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पीएम मोदी के साथ हुड्डा कीी मुलाकात भले ही छोटी रही हो लेकिन वो एक स्टैंड लेते दिखाई दे रहे हैं। नरेंद्र मोदी के साथ दो बार मुलाकात करके हुड्डा ने कांग्रेस आलाकमान तक संदेश पहुंचा दिया है। इन मुलाकातों के बाद हरियाणा कांग्रेस में हलचल तेज हो गई है। हुड्डा खेमे की तरफ से कहा गया है कि ये शिष्टाचार मुलाकात थी। लेकिन राजनीति में इस तरह की मुलाकातों के मायने निकालना कोई कठिन काम नहीं है। हुड्डा लगातार ये मांग कर रहे हैं कि प्रदेश कांग्रेस की कमान उनको दी जाए। सूत्रों का कहना है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार के जरिए हुड्डा ने बीजेपी के साथ अपनी गोटियां सेट की हैं। हरियाणा में जाटों की नाराजगी के बीच हुड्डा का बीजेपी में सारे समीकरण बदल सकता है। बीजेपी के पास हुड्डा के कद का कोई बड़ा जाट नेेता नहीं है। इसी के देखते हुए सियासी जानकार मान रहे हैं कि हुड्डा ने सही समय पर सही दांव चला है।