डोकलाम में वॉर से कुछ हासिल नहीं कर पाएगा युद्ध उन्‍मादी चीन

डोकलाम विवाद में अगर चीन ने भूलकर भी भारत के खिलाफ जंग का बिगुल बजा दिया तो यकीन मानिए उसे यहां से कुछ भी हासिल नहीं होगा। बादशाहत भी जाएगी और बदनामी भी होगी।

New Delhi Aug 22 : पिछले 65 दिनों से डोकलाम पर बवाल मचा हुआ है। मेरी गिनती के हिसाब से चीनी मीडिया भारत को 56 वार युद्ध की धमकी दे चुका है। पीपल्‍स लिबरेशन आर्मी बार्डर पर युद्ध अभ्‍यास कर रही है। जंगी टैंक और हेलीकॉप्‍टर की मदद से ये प्रैक्टिस की जा रही है। भारत को दिखाने के लिए इसके वीडियो भी जारी किए जा रहे हैं। लेकिन, भारत शांत है। शांत का मतलब ये कतई ना निकाला जाए कि भारत चुप है। उसे जवाब देना नहीं आता है। अगर युद्ध उन्‍मादी चीन की सेनाएं सीमा के पास प्रैक्टिस कर रही हैं तो भारतीय फौजों ने भी वार्मअप कर लिया है। यकीन मानिए अगर डोकलाम में नौबत युद्ध की आती है तो चीन के सामने सिर्फ तबाही बटोरने के कुछ नहीं बचेगा। बादशाहत भी जाएगी और बदनामी भी होगी।

Advertisement

यहां पर युद्ध की स्थिति में चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। भारत और चीन के बीच बचे-खुचे कूटनीतिक संबंध भी खतरे में पड़ जाएंगे। डोकलाम में चीन को सड़क निर्माण करने से रोककर भारत पेइचिंग को ये दिखा चुका है कि हम अपने हित के लिए ताकत का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। सिर्फ डोकलाम ही नहीं भारतीय फौज  बागडोगरा से गुवाहाटी और सिलिगुड़ी रोड लिंक के पास भी चीन को सुविधाजनक स्‍थान बनाने की कार्रवाई में पलीता लगा चुकी है। इन सब के बाद भी अगर चीन युद्ध के लिए बेताब है तो उसे ये बात भी समझ लेनी चाहिए कि यहां उसे कोई भी सामरिक फायदा नहीं मिल सकता। भौगोलिक परिस्थिति के कारण डोकलाम में भारत का पलड़ा काफी मजबूत है। खासतौर पर ये जमीन भारतीय सेना को एडवांटेज देने वाली है।

Advertisement

अगर चीन भारत के साथ जंग करता है तो वो अपने ही पैर पर कुल्‍हाड़ी मारेगा। हम ये हरगिज नहीं कर सकते हैं कि भारत को युद्ध से कोई नुकसान नहीं होगा। लेकिन, सबसे ज्‍यादा सामरिक और व्‍यापारिक नुकसान चीन को ही उठाना होगा। दोनों देशों के बीच करीब सात सौ करोड़ डॉलर से भी ज्‍यादा का द्विपक्षीय व्यापार होता है। भारत में पैसा लगा चुकी चीनी कंपनियां तबाह होे जाएंगी। हालांकि भारत के भी फार्मा सेक्‍टर पर इसका बुरा असर पड़ेगा। लेकिन चीन के OBOR जैसे बड़े सपने टूट सकते हैं। इतना ही नहीं सिर्फ युद्ध के उन्‍माद भर से ही चीन की कारोबारी बादशाहत खत्‍म हो सकती है। अभी मैन्‍युफैक्‍चरिंग हब में उसकी बादशाहत है, जिससे उसकी आर्थिक विकास दर बढ़ी है। लेकिन, हिंदुस्‍तान ने भी चीन से ज्‍यादा विकास दर देने का मजबूत ढ़ांचा तैयार कर लिया है।

Advertisement

चीन का युद्ध उन्‍माद उसे तबाही की ओर धकेलता है। इस वक्‍त चीन एशिया का सबसे बड़ा खिलाड़ी है। वो ग्लोबल सुपर पावर बनने का भी सपना देख रहा है। लेकिन, भारत पर हमले के बाद इंडियन आर्मी से मिलने वाली चुनौती उसके इस सपने को भी तोड़ सकती है। वैश्विक स्‍तर पर उसे हार का सामना करना होगा। अमेरिका, जापान, रूस जैसे बड़े देश चीन की हर चाल से वाकिफ हैं। डोकलाम विवाद पर इन सभी देशों को समर्थन भारत को हासिल है। ऐसे में इस ट्राई जंक्‍शन को भारत और दुनिया के दूसरे देश कभी भी साउथ चाइना सी नहीं बनने देंगे। चीन को इस मसले पर कूटनीतिक हार का भी सामना करना होगा। इसको दूसरे और सरल नजरिए में इस तरह से भी समझ सकते हैं कि पहलवान की बादशाहत तभी तक बरकरार रहती है जब तक वो रिंग के बाहर है। रिंग के भीतर आने के बाद तो दोनों ही पहलवानों को एक दूसरे की ताकत का अंदाजा हो ही जाता है। जिसका सीधा प्रसारण दुनिया देखती है।