यूपी में पूर्व मुख्यमंत्रियों का बड़े-बड़े सरकारी आवासों पर कब्जा !

यूपी में मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, मायावती, राजनाथ सिंह, एन डी तिवारी, कल्याण सिंह और राम नरेश यादव के नाम कई-कई बंगले मिलाकर बनाए गए आवास आवंटित हैं।

New Delhi, Aug 24 : सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसे अवैधानिक व जनता के पैसे का नेताओं द्वारा दुरुपयोग बता कर दो माह में ख़ाली करने के निर्देश दिए थे। परंतु यूपी की अखिलेश यादव सरकार ने इस आदेश को scuttle कर अर्थात ठेंगा दिखा कर एक बिल के माध्यम से पूर्व मुख्यमंत्रियों के इस क़ब्ज़े को बरक़रार रखने का काम किया। चूँकि पिता-पुत्र दोनो को अलग-अलग सरकारी आवासों पर क़ब्ज़ा करना था, यद्यपि अपने मुख्यमंत्री काल में वह अपने पिता के आवास में ही रहते थे। 

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2.37 करोड़ रुपये उन्होने पब्लिक का पैसा अपने बंगले की साजसज्जा में ख़र्च कर दिया। मायावती ने तो कई बंगलो व गन्ना आयुक्त कार्यालय को अपने बंगले में सम्मिलित कर लिया और साजसज्जा में करोड़ों रुपए ख़र्च किए। अन्य किसी पूर्व मुख्यमंत्री ने शायद ही ऐसे राजनीति में ‘नैतिकता’ की धज्जियां उड़ायी हों। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे की फिर दुबारा से बड़ी गम्भीरता से लिया है।
इस प्रकार उ.प्र. में अपने कार्यकाल में ही मुख्यमंत्रीगण लाखों/करोड़ों जनता का पैसा ख़र्च कर अपने भावी सरकारी बंगलों की साजसज्जा करते रहे हैं। कई-कई बंगलों/सरकारी बिल्डिंगों को मिलकर अपना बंगला तैयार करते रहे हैं, और फिर नाम मात्र के किराए पर जीवन पर्यन्त रखते हैं।

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प्रदेश में करोड़ों ग़रीब एक अदद छोटे से मकान के लिए जीवन भर संघर्ष करते हैं। लखनऊ में पार्टी ऑफ़िस व ट्रस्ट्स के नाम पर आवंटित सरकारी आवास/बिल्डिंग पर नेताओं ने क़ब्ज़ा किया हुआ है। रिटायर हुए पत्रकार भी सरकारी आवासों पर क़ाबिज़ हैं जबकि उन्हें LDA से सस्ती ज़मीन मकान बनाने के लिए दी गयी है। दक्षिण भारत के राज्यों में यह परम्परा नहीं है। केवल feudal राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश आदि में ही यह क़ब्ज़े किए गए हैं। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, मायावती, राजनाथ सिंह, एन डी तिवारी, कल्याण सिंह और राम नरेश यादव के नाम कई-कई बंगले मिलाकर बनाए गए आवास आवंटित हैं। जबकि इनके व इनके परिवारों के नाम एक नहीं कई-कई प्राइवेट मकान लखनऊ या अन्य शहरों में विद्यमान हैं।

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क्या इन नेताओं का अपने राजनीतिक जीवन में नैतिकता का यह कोई उदाहरण है। क्या महात्मा गांधी, सरदार पटेल , लोहिया, अम्बेडकर जैसे लोगों ने ऐसा कोई अनैतिक आचरण किया? क्या उन्होंने अपने परिवारों के लिए कभी कुछ ऐसा किया ? उत्तर प्रदेश में श्री राम प्रकाश गुप्ता एक ऐसे ईमानदार मुख्यमंत्री हुए, जिन्होंने इतना बड़ा सरकारी बंगला लेने से इंकार कर दिया KUDOS TO HIM !
आप बताएंगे कि क्या ये बंगले व सरकारी सम्पत्ति ख़ाली होनी चाहिए या नहीं ? क्या पब्लिक लाइफ़ में यह अनैतिक आचरण की श्रेणी में नहीं आता है ?

(रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)