इसलिए राम रहीम रावण बनता है !

जब कानून बनाने वाले उस पर केस के बाद सजदा करे तो फिर ऐसा राक्षण रावण क्यों नहीं बने? तब कभी किसी ने कोई आवाज नहीं उठायी।

New Delhi, Aug 26 : राम रहीम पर केस 2002 से चल रहा था। रेप का। मर्डर का। फिल्मी स्टाइल में हर शिकायत करने वालों का मर्डर होता गया। लेकिन कुछ जीवट ताकत इसके खिलाफ टिके रहे। कुछ लड़कियों ने तब के पीएम पीएम अटल बिहारी से न्याय मांगी गयी । लेेकिन तब एनडीए सरकार ने उस लड़की का खत दबा दिया। बाद में हाई कोर्ट उस लड़की के लिए मसीहा बन कर सामने आयी। सीबीअाई जांच के आदेश दिये। फिर इस गुंडा ढोंगी (रावण) ने सीबीआई अफसर और जज को भी धमकाया। यह सब होता रहा। इसके बीच इस ढोंगी को पूजने वालों की तादाद भी बढ़ती गयी। भगवान बन गया।

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बात इतनी खत्म नहीं होती है। इस ढोंगी ने नेताओं में भी अपनी पहुंच बना ली। वोट दिलाने के बदले नेताओं से अपने लिए संरक्षण मांगने लगा। Gurmeet-Ram-Rahim-Singh-इसी ढोंगी रेपिस्ट ने वक्त के हिसाब से कांग्रेस,बीजेपी और अकाली दल,सबके लिए वोट दिलाने और बदले में उसकी गुंडागिरी को संरक्षण देने की कीमत वसूलते रहे।

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अब देखिये कि 2002 से ही ऐसे गुंडा रेपिस्ट ने इन मामलों के सामने आने के बाद किस तरह का मुकाम पाया- 2007,2012 में कांग्रेस के लिए फतवा जारी किया कि उसे वोट दे। कांग्रेस जीती। कांग्रेस के नेता उसके दर पर जाते रहे। 2012 के बाद जब कांग्रेस कमजोर होने लगी तो बीजेपी के शरण में गया। पीएम मोदी से लेकर मनोहर लाल खट्टर इनके प्रशंसक बने। भरी सभा से नरेन्द्र मोदी ने इसके लिए कसीदे पढ़े। हरियाणा में जब बीजेपी जीती तो पूरा कैबिनेट सीएम के साथ उससे आर्शीवाद लेने गये। दंडवत किया। जीत को समर्पित किया। नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत का अंबेसेडर बताया भरी सभा से लाखों लोगों के सामने।

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जब इन दलों के नेता इनके सामने दंडवत थे तब यह केस हो चुका था। ऐसे में उन लाखों सपोर्टरों सहित इस रेपिस्ट गुंडे को क्यों नहीं इतना अहंकार हो कि इसे कुछ नहीं हो सकता। यह कानून से ऊपर है। जब कानून बनाने वाले उस पर केस के बाद सजदा करे तो फिर ऐसा राक्षण रावण क्यों नहीं बने? तब कभी किसी ने कोई आवाज नहीं उठायी। क्या इसकी ताकत एक दिन में बनी? अपने दम पर बनी? जरा सोचये। इसीलिए कहता हूं। अंधे न बनें। चीजों को देखते रहें। अगर सही को सही और गलत को गलत को नहीं बोलेंगे तो कल ऐसा ही फिर कोई गुंडा राम रहीम भष्मासुर बनेगा और जब उसपर और उसके गूंडे भक्तों पर पागलपन का जुनून चढ़ेगा तो उसमें हम-आप कोई फंस सकते हैं।

(पत्रकार नरेन्द्र नाथ के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)