डोकलाम पर जीत गया भारत, चीन को आखिर टेकने ही पड़े घुटने

डोकलाम में भारत की बड़ी जीत हुई है। इसके साथ ही चीन को भी ये पता चल गया है कि भारत से मुकाबला करना अब उसके बूते की बात नहीं रही है।

New Delhi Aug 28 : डोकलाम पर भारत जैसा चाहता था वैसा ही हुआ। भारत शुरु से ही इस मसले को बातचीत के जरिए हल करने के पक्ष में था। जबकि चीनी मीडिया लगातार इस मामले को तूल देकर युद्ध की धमकी दे रही थीं। चीन की ओर से अब तक ना जाने कितनी ही बार भारत को डराने और धमकाने की कोशिश हुई। लेकिन, उसकी सभी कोशिशें नाकाम साबित हुईं। आखिर चीन को भारत के सामने घुटने टेकने ही पड़े। डोकलाम से दोनों ही देशों की सेनाओं ने पीछे हटने का फैसला कर लिया है। जिसके बाद यहां पिछले करीब तीन महीने से चला आ रहा गतिरोध खत्‍म हो गया है। हालांकि चीन ने इस गतिरोध में अपना बहुत कुछ खो दिया है। उसने भारत जैसा अच्‍छा दोस्‍त खो दिया है। अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपनी इज्‍जत गंवा दी है। कोरी धमकियों और कोरी बयानबाजी के चलते वो हंसी का पात्र बन चुका है।

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अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर डोकलाम पर भारत की इस कूटनीतिक जीत को काफी महत्‍वपूर्ण माना जा रहा है। भारत की ये जीत इसलिए भी काफी महत्‍वपूर्ण हैं क्‍योंकि कि अभी अगले हफ्ते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने के लिए चीन के श्यामन शहर जा रहे हैं। इस मीटिंग से पहले ही सोमवार को विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी किया गया और बताया कि डोकलाम से दोनों देशों की सेनाओं ने पीछे हटने का फैसला कर लिया है। यहां से एक साथ दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटेंगी। भारत पहले दिन से ही कहता रहा है कि यहां पर चीन की दादागिरी नहीं चलेगी। अगर यहां से हटेंगी तो दोनों ही देशों की सेनाएं एक साथ हटेंगी। अकेले भारतीय फौज के पीछे हटना का सपना देखना चीन को छोड़ना होगा।

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कुछ हफ्तों से डोकलाम को लेकर दोनों देशों के प्रतिनिधि एक दूसरे के संपर्क में थे। लगातार बातचीत चल रही थी। लेकिन, चीन इस बात पर अड़ा हुआ था कि पहले इंडियन आर्मी इस सेक्‍टर से हटे, उसके बाद ही कोई बातचीत होगी। भारतीय सेना को यहां से पीछे हटाने के लिए चीन ने साम, दाम, दंड भेद हर चीज का इस्‍तेमाल किया। लेकिन, भारत अपने रुख और स्‍टैंड पर कायम रहा। जबकि चीनी सेना का मुखपत्र और चीनी मीडिया लगातार भारत को युद्ध की धमकी दे रहा था। हमें 1962 की जंग याद दिलाई जा रही थी। लेकिन, भारत डोकलाम में टस से मस तक नहीं हुआ। आखिर भारत ने चीन को इस मसले पर झुका ही दिया। इससे भारत की साख अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर और मजबूत हुई है।

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इसके साथ ही चीन अब ये भी जान चुका है कि मौजूदा वक्‍त में भारत से पंगा लेना उसके बूते की बात नहीं है। इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर मजबूत नेता के तौर पर उभर कर सामने आए हैं। चीन के बैकफुट पर जाने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कद और बढ़ गया है। जबकि देश के भीतर विपक्ष के मुंह पर ताले पड़ गए हैं। एक बात तो हर किसी को माननी होगी कि जब से केंद्र में मोदी सरकार ने अपना कामकाज संभाला है। अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर भारत मजबूत देश के तौर पर उभरकर सामने आया है। मोदी के राज में झुकने से ज्‍यादा झुकाने पर जोर दिया जाता है। चाहें वो चीन हो या फिर पाकिस्‍तान। हर जगह डंका भारत का ही बज रहा है। ये मजबूत सरकार के परिणाम हैं जिसके चलते चीन को भी भारत के सामने घुटने टेकने पड़े हैं।