भक्‍तों की खुल गईं आंखे ! सिर पर बिठाने वाले बाबा राम रहीम को गटर में फेंका

अंधभक्ति में लीन भक्‍तों की आंखे जितनी जल्‍द खुल जाएंगी कृपा उतनी जल्‍दी ही बरसने लगेगी। राम रहीम के भक्‍तों की आंखें भी अब खुलने लगी हैं।

New Delhi Sep 01 : डेरा सच्‍चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम 25 अगस्‍त से पहले कहीं भी जाते थे तो उनके भक्‍त उनकी राहों में फूल बिछा दिया करते थे। भक्‍त अपने भगवान का पलकें बिछाए इंतजार किया करते थे। कोई उन्‍हें छूना चाहता था, कोई सिर्फ देखभर लेने से अपना जीवन सफल मान लेता था। ये सबकुछ हर घंटे हर रोज होता था। बाबा की अंधभक्ति में लीन डेरा प्रेमियों को राम रहीम में सिर्फ और सिर्फ भगवान ही नजर आते थे। ना कोई उनके खिलाफ कुछ सुनना चाहता था और ना ही देखना। लेकिन, डेरा प्रेमियों की आंखों से अब इस अंध भक्ति का परदा हटना शुरु हो गया है। डेरा प्रेमियों ने अब बाबा को गटर में पहुंचाना शुरु कर दिया है। ढ़ोंगी और पाखंडी बाबाओं के खिलाफ ये अच्‍छे संकेत हैं।

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दरअसल, राजस्‍थान के श्रीगंगानगर में राम रहीम का काफी दबदबा हुआ करता था। श्रीगंगानगर में भी डेरा प्रेमियों की कोई कमी नहीं थी। लेकिन, पंचकुला की सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले के बाद राम रहीम के डेरा प्रेमी कैसे डेरा नफरती बन गए इसका नमूना अभी बुधवार को ही देखने को मिला। श्रीगंगानगर के वार्ड 43 में बुधवार को नाले की सफाई का काम चल रहा था। लेकिन, नाले से जो कुछ मिला वो काफी हैरान करने वाला था। सफाईकर्मियों की झाड़ू एक ही जगह पर जाकर अटक रही थी। नाले का मलबा बाहर निकाला गया। इस मलबे में कुछ फोटो थीं। कुछ साहित्‍य थे। गंध को झाडू से हटाया गया तो वो राम रहीम की फोटो निकली। राम रहीम के साथ शाह सतनाम की भी फोटो को लोगों ने गटर में डाल दिया था।

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सफाई कर्मियों को लगा कि कहीं ये फोटो यहां पर हंगामे की वजह ना बन जाएं। इसलिए इसकी जानकारी पुलिस को दी गई। पुलिस को भी इस बात की आशंका थी कि इस बात पर गंगानगर में हंगामा हो सकता है। लेकिन, ये गर्व की बात है कि यहां पर कुछ भी नहीं हुआ। इसलिए कुछ नहीं हुआ क्‍योंकि राम रहीम की इन फोटो को दंगा भड़काने के लिए नाले में नहीं फेंका गया था। बल्‍िक विश्‍वास तोड़ने के लिए गटर में डाला गया था। ये वो विश्‍वास था जो लोगों ने राम रहीम पर जताया था। उसमें अपनी आस्‍था दिखाई थी। अपना सबकुछ न्‍यौछावर कर दिया था। लेकिन, भगवान के भेष में इस भेडि़ए ने अपने भक्‍तों को क्‍या दिया। सिर्फ और सिर्फ धोखा। लेकिन, अब अंधभक्‍तों को सच्‍चाई के ज्ञान की रोशनी मिल चुकी है।    

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बाबा ने भक्‍तों को जितना ठगना था ठग लिया। लेकिन, अब बारी भक्‍तों की है। राम रहीम को उसके किए की सजा मिल रही है। लेकिन, उन भक्‍तों से ये अपील जरुर होनी चाहिए जो अभी भी राम रहीम को अपना भगवान मानते हैं, सिर्फ राम रहीम को ही नहीं बल्कि दूसरे बाबाओं को भी भगवान का दर्जा देते हैं, उन्‍हें अपनी आंखें खोलनी चाहिए। आंख पर पड़े परदे को हटाना चाहिए। अगर राम रहीम, आसाराम या फिर नित्‍यानंद सरीखे बाबा वाकई में भगवान होते तो आज अपने चमत्‍कार से कानून के चंगुल से बच चुके होते। लेकिन, भक्‍तजनों ये भगवान नहीं फ्राॅड हैं। जो भगवान के नाम पर आपको और हमको ठग रहे हैं। सिर्फ ठग ही नहीं रहे हैं बल्कि हमारा तन, मन और धन सबकुछ लूट रहे हैं और हम अंधभक्ति में लुटा रहे हैं।