लालू यादव और किस्मत, कंगाली में आटा ही नहीं रसोई गीली हो गई !

लालू यादव परेशान हैं, उनकी किस्मत साथ नहीं दे रही है। रैली के जरिए उन्होंने हुंकार भरी तो वो हुंकार केवल आयकर विभाग को सुनाई पड़ी।

New Delhi, Sep 02: आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को न जाने किसकी नजर लग गई है। उनका एक भी दांव सही नहीं बैठ रहा है।  भ्रष्टाचार के दोषी होने के कारण वो चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। बिहार में सत्ता से वो इस तरह से बेदखल किए गए जैसे दूध में पड़ी मक्खी को कोई निकाल देता है। महागठबंधन नाम का जो किला उन्होंने तैयार किया था। वो मिट्टी के किले की ढह गया। अपनी सियासी पारी तो लालू खेल चुके हैं लेकिन वो पूरी कोशिश कर रहे हैं कि उनके बेटों का सियासी जीवन रफ्तार पकड़ ले। लेकिन तेजस्वी और तेज प्रताप में वो स्पार्क नहीं दिखाई दे रहा है। तेज प्रताप कभी बांसुरी बजाते हैं तो कभी शंख, और इसी को उपलब्धि समझ लेते हैं। तेजस्वी यादव भी विचित्र हैं जो अपने ही पिता को पिता तुल्य बता देते हैं।

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महागठबंधन टूटने के बाद फिर से विपक्षी एकता का जाप करने के लिए लालू ने 27 अगस्त को महारैली बुलाई थी। इस रैली को लेकर विवाद और मजाक दोनों हुए। मजाक लालू की फोटोशॉप वाली तस्वीर पर और विवाद इस पर कि उन्होंने रैली में पैसा कहां से खर्च किया। जी हां लालू यादव कोई काम करें और उस पर आयकर विभाग की नजर न हो ऐसा कैैसे हो सकता है। महारैली में खर्च को लेकरआयकर विभाग ने लालू को घेरना शुरू कर दिया है। जिस महारैली की सफलता के लिए लालू ने फोटोशॉप का सहारा लिया उसी को लेकर आयकर विभाग ने नोटिस थमा दिया है कि बताओ रैली के लिए पैसा कहां से आया।

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आयकर विभाग ने नोटिस थमाकर जानकारी मांगी है कि इस रैली में कितना खर्च हुआ है। रैली को सफल बनाने के लिए लालू ने पूरा जोर लगा दिया था। उन्होंने रैली में आने वाले लोगों के लिए शानदार व्यवस्था की थी। कार्यकर्ताओं के लिए शानदार शमियाने लगाए गए थे। भीड़ के खाने पीने का प्रबंध किया गया था। यहां तक कि लोगों के मनोरंजन के लिए बार डांसरों तक का इंतजाम किया गया था। जाहिर है कि महीनों से जो रैली की तैयारी चल रही थी उसके लिए पैसे की जरूरत तो होती है। तो इसी को देखते हुए आयकर विभाग ने लालू को थमा दिया नोटिस। ये तो वही बात है कि कंगाली में आटा ही नहीं लालू की पूरी रसोई गीली हो गई है। बिहार बााड़ से कराह रहा है तो लालू के दर्द की एकमात्र वजह मोदी है।

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ऐसा इसलिए कि रैली के ठीक बाद आयकर विभाग ने तेेजस्वी यादव और राबड़ी देवी से पूछताछ की थी। साथ में प्रवर्तन निदेशालय की टीम भी थी। ये पूछताछ बेनामी संपत्ति मामले में हुई थी। बताया तो ये भी जा रहा है कि मंगलवार को राबड़ी देवी से रैली में खर्च के मामले में पूछताछ की गई थी। कहा जा रहा है कि रैली मेें काफी पैसा खर्च किया गया था। सुरक्षा के लिहाज से देखें तो रैली की सुरक्षा में 700 पुलिस के जवानों के साथ साथ करीब 1000 मजिस्ट्रेटों की तैनाती की गई थी। फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि लालू की किस्मत साथ नहीं दे रही है। वो जो भी दांव चल रहे हैं वो उल्टा ही पड़ रहा है। रैली के दम पर वो विपक्षी राजनीति का केंद्र बनना चाहते थे, लेकिन उनका ये दांव भी उल्टा पड़ गया है।