ब्रिक्स में मोदी क्या बोलें ?

ब्रिक्स के पांचों राष्ट्रों ने आतंकवाद के खिलाफ पहले भी प्रस्ताव पास किया है और अब भी करेंगे।

New Delhi, Sep 03 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच-राष्ट्रीय ‘ब्रिक्स सम्मेलन’ में भाग लेने चीन जा रहे हैं लेकिन ज़रा चीन की हिमाकत देखिए कि उसकी सरकार के प्रवक्ता ने साफ-साफ कह दिया है कि मोदी वहां पाकिस्तान का मसला न उठाएं। जाहिर है कि ब्रिक्स के पांचों राष्ट्रों ने आतंकवाद के खिलाफ पहले भी प्रस्ताव पास किया है और अब भी करेंगे। रुस की फौजें सीरिया में आईएसआईएस से लड़ रही हैं और भारत भी पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद का शिकार है।

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ऐसे में आतंकवाद के विरोध में हवाई प्रस्ताव पास करने की क्या तुक है ? इस मामले में चीन द्वारा पाकिस्तान की पीठ ठोकना बिल्कुल नाजायज हैं। जो चीन कर रहा है, वह किसी सच्चे दोस्त का काम नहीं है। यदि चीन अपने आप को पाकिस्तान का पक्का और सच्चा दोस्त समझता है तो उसे चाहिए कि वह पाकिस्तान का आतंकवाद से छुटकारा दिलवाए। पाकिस्तानी आतंकवाद जितना भारत का नुकसान कर रहा है, उससे कहीं ज्यादा वह पाकिस्तान का नुकसान कर रहा है। भारत और पाकिस्तान को मिलकर आतंकवाद का विरोध करना चाहिए।

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मुझे पाकिस्तानी संसद का वह प्रस्ताव भी पसंद नहीं आया, जिसमें उसने अमेरिका की निंदा इसलिए की है कि उसने अफगानिस्तान में भारत को सक्रिय होने के लिए कहा है। इसमें शक नहीं कि अफगानिस्तान में सबसे बड़ी भूमिका पाकिस्तान ही अदा कर सकता है लेकिन उसे यह पता है कि वह उस पड़ौसी राष्ट्र को अपना पांचवां प्रांत नहीं बना सकता। अगर चीन इस सत्य को समझ ले तो वह पाकिस्तान को सही दिशा में चलने की प्रेरणा दे सकता है, जैसे कि अमेरिका का ट्रंप प्रशासन कर रहा है।

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ब्रिक्स सम्मेलन में मोदी को किसी से दबना नहीं चाहिए लेकिन उन्हें इतना संयत और तर्कपूर्ण रुख अपनाना चाहिए कि चीन के रवैए में रचनात्मक परिवर्तन हो सके। भारत-चीन के बीच जो द्विपक्षीय मामले हैं, उन पर भी चीनी राष्ट्रपति शी चिन फिंग से बात होगी। यदि पाकिस्तान पर सहमति बन जाए तो उन मामलों में भी काफी प्रगति हो सकती है।

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)