नीतीश कुमार ने लालू यादव को दी अपने गुनाह कबूल करने की सलाह

बिहार में राजनैतिक घमासान जारी है। लालू यादव और नीतीश कुमार ने एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। इस बीच जेडीयू ने लालू को एक सलाह दे डाली है।

New Delhi Sep 10 : लालू यादव को आप किस नाम से पहचानना चाहेंगे? बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री, आरजेडी के सुप्रीमो, पूर्व रेल मंत्री, बिहार के बड़े नेता, भ्रष्‍टाचारी या फिर भ्रष्‍टाचार के आरोपी। लालू यादव की तमाम पहचान है। लालू यादव तमाम पदों पर रहे। कईयों के आगे पूर्व लग गया। लेकिन, एकमात्र भ्रष्‍टाचार का तमगा ऐसा है जो उनका साथ नहीं छोड़ रहा है। बिहार के मुख्‍यमंत्री रहे तब भी उन पर भ्रष्‍टाचार के आरोप लगे। देश के रेल मंत्री रहे तब भी उन पर करप्‍शन के चार्जेज लगे। पूर्व से लेकर वर्तमान तक भ्रष्‍टाचार के आरोप उन पर लगते रहे हैं। लेकिन, लालू प्रसाद यादव हमेशा खुद को दूध का धुला हुआ बताते हैं। जबकि चारा घोटाले में सीबीआई कोर्ट उन्‍हें दोषी ठहरा चुकी है।

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इस वक्‍त भी उन पर ढेरों भ्रष्‍टाचार के आरोप लगे हैं। बिहार के उप मुख्‍यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी लालू के खिलाफ खुलकर आ चुकी है। जनता दल यूनाइटेड ने लालू यादव के खिलाफ एक खुला पत्र जारी किया है। जेडीयू की ओर से जारी ‘कबूलनामा’ में लालू से अपील की गई है कि वो अपने गुनाहों को कबूल कर लें। लालू के खिलाफ कबूलनामे का ये खुला खत जेडीयू के विधान पार्षद नीरज कुमार की ओर से जारी किया गया है। इस कबूलनामे में ये भी कहा गया है कि बिहार में हुआ सृजन घोटाला उस वक्‍त का है जब राज्‍य में राबड़ी देवी की सरकार हुआ करती थी। लालू की पत्नी राबड़ी देवी ही सृजन घोटाले की जनक हैं।

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जेडीयू नेता कहना है कि मनोरमा देवी को आफिस और जमीन देने के लिए जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि लालू यादव की पत्‍नी और तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री राबड़ी देवी हैं। लालू को इन बातों को कबूल करना चाहिए। इसके साथ ही उन्‍हें इस बात की नसीहत भी दी गई है कि उन्‍हें इस तरह वित्‍तीय अनियमितताओं के मामलों को नहीं उठाना चाहिए। क्‍योंकि वो इसके पात्र ही नहीं हैं। जेडीयू के इस खुले खत में लालू यादव को भ्रष्‍टाचारी और सजायाफ्ता बताया गया है। हालांकि लालू बिहार के सृजन घोटाले को लेकर मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्‍यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर निशाना साध रहे हैं। वहीं दूसरी ओर नीतीश कुमार की सरकार की ओर से इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए जा चुके हैं।

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लेकिन, एक बात तो माननी होगी कि लालू सरीखे नेताओं को भ्रष्‍टाचार पर बोलने का कोई हक नहीं बनता है। जो खुद सिर से लेकर पांव तक भ्रष्‍टाचार के आरोप में घिरा हो वो कैसे दूसरे को कठघरे में खड़ा कर सकता है। लालू यादव और उनके परिवार पर इस वक्‍त एक हजार करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति का केस चल रहा है। इसके अलावा रेलवे टेंडर में घोटाले को लेकर भी सीबीआई केस दर्ज कर चुकी है। जिसमें लालू यादव के बेटे तेजस्‍वी यादव का भी नाम शामिल है। सीबीआई दोनों को पूछताछ के लिए नोटिस भी भेज चुकी है। लालू पर इस वक्‍त सीबीआई के अलावा इनकम टैक्‍स और प्रवर्तन निदेशालय का भी शिकंजा है। जो लगातार कसता जा रहा है। लालू और उनके परिवार के भ्रष्‍टाचार की वजह से ही बिहार का महागठबंधन भी टूटा है। इस सच्‍चाई को लालू क्‍यों नहीं कबूल करते ?