‘प्रद्युम्‍न’ पर प्रसून जोशी की कविता पढ़ रो पड़ेंगे आप, लिखा है – ‘समझो गलत है’

मशहूर गीतकार प्रसून जोशी ने गुरुग्राम के प्रद्युम्‍न केस पर एक मार्मिक कविता लिखी है । एक-एक शब्‍द मानों चीख-चीखकर प्रद्युम्‍न के लिए न्‍याय मांग रहे हों ।

New Delhi, Sep 13 : रेयान स्‍कूल में पढ़ने वाले प्रद्युम्‍न की हत्‍या के बाद से देश का हर अभिभावक डरा हुआ है । सुख सुविधा से संपन्‍न, इंटरनेशनल फैसिलिटी का दावा करने वाले स्‍कूल में जब एक बच्‍चा सुरक्षित ना रह सका तो दूसरी जगहों की तो बात ही छोडि़ए । प्रद्युम्‍न की हत्‍या पर उसके परिवार में तो गुस्‍सा है ही लेकिन दूसरे लोगों में भी जमकर आक्रोश है । सब यही चाहते हैं कि मासूम को न्‍याय जल्‍द से जल्‍द मिले और इसमें अलग गुनहगार को सजा दी जाए ।

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प्रद्युम्‍न की हत्‍या पर बॉलीवुड से भी कई और बयान आए हैं । तीन बच्‍चों के पिता संजय दत्‍त ने इस मामले को दिल दहलाने वाली बात बताई है । संजय ने कहा – ये बेहद डरावना वक्त है। एक पिता के तौर पर वो खुद को लाचार महसूस करते हैं। गुड़गांव (गुरुग्राम) में जो एक छोटे बच्चे के साथ हुआ वह किसी भी माता-पिता को डरा सकता है। जहां तक बच्चों की बात है तो हर किसी को बहुत सजग रहना होगा। बच्चो कि सुरक्षा को लेकर यह माता-पिता के लिए डरावना समय है।

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प्रद्युम्‍न को लेकर आज हर कोई अपने भाव व्‍यक्‍त कर रहा है, ऐसे में फिल्‍म सेंसर बोर्ड के प्रमुख और मशहूर गीतकार प्रसून जोशी ने कविता लिखी है । इस कविता को पढ़ शायद आप भी प्रद्युम्‍न के साथ हुए उस वाक्‍ये से खुद को जोड़ सकें और दर्द को महसूस कर सकें । कविता कुछ इस तरह है –
जब बचपन तुम्हारी गोद में आने से कतराने लगे,
जब मां की कोख से झांकती जिंदगी,बाहर आने से घबराने लगे,
समझो कुछ गलत है
जब तलवारें फूलों पर जोर आजमाने लगें,
जब मासूम आंखों में खौफ नजर आने लगे,

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समझो कुछ गलत है
जब ओस की बूंदों को हथेलियों पे नहीं,
हथियारों की नोंक पर थमना हो,
जब नन्हें-नन्हें तलुवों को आग से गुजरना हो,
समझो कुछ गलत है
जब किलकारियां सहम जायें
जब तोतली बोलियां खामोश हो जाएं
समझो कुछ गलत है
कुछ नहीं बहुत कुछ गलत है
क्योंकि जोर से बारिश होनी चाहिये थी
पूरी दुनिया मेंहर जगह टपकने चाहिये थे आंसू
रोना चाहिये था ऊपरवाले को
आसमान से फूट-फूट कर
शर्म से झुकनी चाहिये थीं इंसानी सभ्यता की गर्दनें
शोक नहीं सोच का वक्त है
मातम नहीं सवालों का वक्त है.
अगर इसके बाद भी सर उठा कर खड़ा हो सकता है इंसान
तो समझो कुछ गलत है….प्रसून जोशी