जाली नोट लेकर जो बैंक गया वो तो असली लेकर बाहर आ गया !
क्या हम मान कर चल सकते हैं कि नोटबंदी के दौरान जो भी जाली नोट था, उसके बदले कैशियर ने असली नोट दे दिया।
New Delhi, Sep 13 : क्या आपने इस पर कभी सोचा कि नोटबंदी की हबड़दबड़ में जो भी जाली नोट बैंक में जमा हुआ होगा, उसके बदले जमाकर्ता असली नोट लेकर बाहर आ गया होगा। हंसते-खेलते। किसी भी बैंक में जब आप नोट जमा करते हैं तो कैशियर नोट की संख्या ही लिखता है, नंबर नहीं। जब भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने 4009 करेंसी चेस्ट में सर्वे किया तो उसे वित्त वर्ष के दौरान 43.47 करोड़ के जाली नोटों का पता चला है। यह साफ नहीं है कि कितने नोट बैंक में जमा होने के बाद पकड़े गए और कितने पुलिस वगैरह ने बाहर पकड़े हैं।
क्या हम मान कर चल सकते हैं कि नोटबंदी के दौरान जो भी जाली नोट था, उसके बदले कैशियर ने असली नोट दे दिया। उसका पता चलना अब मुश्किल है, वरना भारतीय रिज़र्व बैंक अपनी रिपोर्ट में यह भी बताता कि इतने हज़ार लोगों को जाली नोट जमा करने के बदले नोटिस भेजा जा रहा है या यह बता देता कि हमने 43.47 करोड़ जाली नोट के बदले असली नोट नहीं दिए। नोटबंदी के दौरान बैंकों में जमा जाली नोट के बदले कितने खाताधारकों को असली नोट नहीं दिया गया? रिपोर्ट के अनुसार जाली नोट का पता करेंसी चेस्ट में सर्वे के दौरान पता चला है यानी पैसा जमा हो जाने के बाद। सरकार को इस बारे में तथ्य स्पष्ट करना चाहिए। क्या मेरा सवाल सही है?
कहीं ऐसा तो नहीं कि नोटबंदी जाली नोट लेकर घूमने वालों के लिए एमनेस्टी स्कीम थी? आम तौर पर जिसके पास जाली नोट होगा वो बैंकों के पास पकड़े जाने के डर से कतराएगा। दुनिया में ऐसा कहीं नहीं हुआ होगा कि सरकार ने जाली नोट लेकर घूम रहे लोगों को बुला कर कहा होगा कि बैंक में जमा कर दो, हम इसके बदले असली दे देंगे और जनता से कह देंगे कि हमने जाली नोट पकड़ लिए हैं।
आप चाहें तो हंस सकते हैं। वो भी हंस ही रहा होगा जो जाली नोट जमा कर असली ले गया होगा। मुझे तो जाली नोट के बदले असली लेकर बाहर आते हुए फिल्म कलाकार जीवन की हंसी दिखाई दे रही है।