जनता को डस रहा है मोदी सरकार की महंगाई का ‘स्लो पॉइजन’, पेट्रोल @ 80
सत्ता में आने से पहले महंगाई को लेकर मोदी ने बहुत बड़े-बड़े वादे किए थे। लेकिन, अब मोदी सरकार खुद इस मोर्चे पर फेल होती नजर आ रही है।
New Delhi Sep 14 : पेट्रोल-डीजल के दाम कम होते हैं तो खबर आप तक पहुंच जाती है लेकिन, जब बढ़ते हैं तो हवा तक नहीं लगती। ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है जो अपनी बाइक और कार में बैठे-बैठे पेट्राेलपंप कर्मी को हुक्म देते हैं कि 500 या 1000 रुपए का पेट्रोल भर दो। या फिर टैंक फुल कर दो। नजरें मीटर पर होती जरुर हैं। लेकिन, आंख सिर्फ ये देखती है कि पेट्रोल पूरा दिया गया कि नहीं। भाव क्या है कम ही लोग देखते हैं। इस अनदेखी का नतीजा ये हुआ है कि मुंबई में पेट्रोल के दाम अस्सी रुपए लीटर तक पहुंच गए हैं। पेट्रोल की महंगाई का ये आंकड़ा मोदी सरकार में पिछले तीन साल में अपने सबसे ऊंचे स्तर पर है। इसके साथ ही मोदी सरकार का ये दावा भी गलत साबित हुआ कि डीजल पेट्रोल के दाम बाजार के हवाले करने से ग्राहकों को फायदा होगा।
पेट्रोल और डीजल के रोजाना बढ़ते-घटते दामों से पेट्रोल की कीमत एक बार फिर 2014 के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है। सबसे ज्यादा बुरा हाल महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश का है। यहां सबसे ज्यादा वैट वसूले जाने की वजह से लोगों को 80 रुपए लीटर के हिसाब से पेट्रोल खरीदना पड़ रहा है। दिलचस्प बात तो ये है कि इन दोनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार है। मोदी राज में महंगाई का ये स्लो पॉइजन हर किसी को परेशान कर रहा है। दिल्ली में फिलहाल थोड़ी राहत है। पेट्रोल का भाव यहां 70.38 रुपए प्रति लीटर है। डीजल की कीमत 58.72 रुपए प्रति लीटर है। लेकिन, आर्थिक राजधानी में महंगाई की आग लगी हुई है। मोदी राज में यहां पर पेट्रोल 79.48 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बिक रहा है।
डीजल 62.37 रुपए प्रति लीटर का भाव लिए हुए है। कोलकाता, चेन्नई हर जगह यही हाल है कहीं थोड़ा कम कहीं थोड़ा ज्यादा। लेकिन, स्लो पॉइजन का इंजेक्शन लग हर किसी को रहा है। मोदी सरकार में अच्छे दिनों के वादे किए गए थे। लेकिन, क्या 80 रुपए लीटर का पेट्रोल खरीदकर अच्छे दिनों की कल्पना करना ठीक होगा। वो भी तब जब ऑयल कंपनियां रिफाइनरियों से 26.65 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से तेल खरीदती हैं। इसके बाद 4.05 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी और वैट वसूलती है। ये सब मिलाकर पेट्रोल का भाव बैठता है 30 रुपए 70 पैसे। बात यहीं खत्म नहीं होती। इसके बाद फिर से पेट्रोल पर 21 रुपए 48 पैसे प्रति लीटर के हिसाब से अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी वसूली जाती है। अब जाकर इसका दाम बनता है 51 रुपए 19 पैसे।
अब सिर्फ इतना भर से मोदी सरकार इस तेल को आपकी गाड़ी तक तो पहुंचा नहीं सकती है। डीलरों को कमीशन भी देना होता है। कमीशन की ये रकम तीन रुपए 23 पैसे प्रति लीटर होती है। 51 रुपए 19 पैसे में कमीशन की रकम जोड़ेंगे तो भाव पहुंचता है 54 रुपए 42 पैसे का है। अब बारी आती है राज्यों की। हर राज्य अपने हिसाब से इस पर वैट लगाते हैं। जैसे दिल्ली में 27 फीसदी वैट लगता है। यानी दिल्ली में वैट की रकम 14 रुपए 69 पैसे होती है। अब इसे भी पहले वाली रकम में जोड़ देंगे तो आपकी टंकी में पेट्रोल 70 रुपए 38 पैसे लीटर के हिसाब से पहुंचे। यही पेट्रोल महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में पहुंचाएंगे तो करीब अस्सी रुपए लीटर के हिसाब से पैसा देना होगा। सीधा सीधा समझिए केंद्र और राज्य सरकार हम लोगों से पेट्रोल पर 163 फीसदी का टैक्स वसूल करती है और हम देते हैं। क्योंकि चलती का नाम गाड़ी है और महंगाई का नाम सरकार है। चाहें वो मनमोहन सिंह की हो या फिर मोदी की।