‘रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में मिले शरण’, एक सनसनीखेज रैली से देश सन्न !

रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा देश में लगातार गर्माता जा रहा है। इस बीच उत्तराखंड में हुई एक रैली से देश से सन्न हो गया है। पढ़िए आखिर क्या है ये खबर

New Delhi, Sep 14 : ‘जिन्होंने केदारनाथ आपदा के दौरान मारे गए लोगों को लेकर कोई सहानुभूति व्यक्त नहीं की आज वो देश के बाहर रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में शरण देने की बात कह रहे हैं।’ उत्तराखंड में हुई एक रैली को लेकर देशभर में सवाल उठ रहे हैं। इससे पहले आपको कुछ जानकारी दें, पहले ये जान लें कि आखिर रोहिंग्या मुस्लिम हैं कौन और क्यों उनका मुद्दा देश में गर्माता जा रहा है। 12वीं सदी के शुरुआती दौर में रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय म्यांमार के रखाइन इलाके में आकर बस गया था। लेकिन तबसे इन पर हिंसा करवाने और आतंकवादी हमलों में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं।

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म्यांमार ने आज तक इस समुदाय को नहीं अपनाया है। आरोप भी है 2012 में म्यांमार के रखाइन में रोहिंग्या मुस्लिमों ने कुछ सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर डाली थी। तब वहां हिंसा और ज्यादा भड़क गई थी। कहा जाता है कि रोहिंग्या मुस्लिम बेहद गरीब और अशिक्षित होते हैं। इस वजह से दुनिया भर के कई आतंकी संगठन इसमें शामिल युवाओं को अपने गुट में शामिल करते हैं। बौद्ध संगठनों और कट्टरपंथी रोहिंग्या मुस्लिमों के बीच कई बार खूनी झड़प हो चुकी है। हाल ही के विवाद की बात करते हैं। 25 अगस्त को रोहिंग्या मुसलमानों के एक हथियारबंद संगठन द्वारा सुरक्षा बलों पर हमला किया गया।

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इस लड़ाई में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। अक्टूबर 2016 में म्यांमार के नौ सुरक्षालबों की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। हत्या का आरोप रोहिंग्या कट्टपंथियों पर ही लगा था। एक रिपोर्ट कहती है कि देश में सबसे ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिम जम्मू-कश्मीर में रहते हैं। कुछ रिपोर्ट कहती हैं कि जम्मू-कश्मीर के पत्थरबाजों में भी इनमें से कई लोगों को शामिल किया जाता है। हाल ही में अनंतनाग में पुलिस की जीप फूंकी गई है और आरोप इन्ही पत्थरबाजों पर है। हैरानी की बात तो ये है कि इन पत्थरबाजों का सपोर्ट मूसा कश्मीरी कर रहा है, जिसने हाल ही में अल-कायदा का संगठन कश्मीर में चलाने की बात कही है।

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अब आपको बताते हैं आखिर उत्तराखंड में क्या हुआ है। उत्तराखंड में मुस्लिम समुदाय ने बड़ा जुलूस निकाला है। इस रैली के जरिए मांग की गई कि म्यांमार में शांति होने तक रोहिंग्या मुस्लिमों को भारत में रहने दिया जाए। बताया जा रहा है कि जुलूस में शामिल लोगों और पुलिस के बीच कई जगहों पर झड़प भी हुई है। जिलाधिकारी कार्यालय के पास पुलिस ने भीड़ को गेट पर ही रोक लिया। अंदर जाने के अनुमति सिर्फ प्रतिनिधि मंडल को ही दी गई। रैली जिस भी रास्ते से गुजरी वहां जाम से सड़कें पट गई। लोगों को काफी परेशानी का सामना उठाना पड़ा। सबसे ज्यादा दिक्कत तब रही, जब लोगों को कचहरी के गेट पर ही रोक दिया गया।