एक दूसरे पर ‘लाल’ हुए लेफ्ट नेता, सीताराम येचुरी और प्रकाश करात में वर्चस्‍व की जंग

लेफ्ट पार्टियां धीरे-धीरे अपना अस्तित्‍व खो रही हैं। दूसरी ओर पार्टी के नेता आपस में ही भिड़े पड़े हैं। अब जंग प्रकाश करात और सीताराम येचुरी में शुरु हुई है।  

New Delhi Sep 14 : पश्चिम बंगाल को लेफ्ट पार्टियों का गढ़ माना जाता रहा है। लेकिन, दो बार से यहां पर ममता बनर्जी ने कब्‍जा कर रखा है। इस बार भी लेफ्ट पार्टियों का सूपड़ा पश्चिम बंगाल से साफ होता ही नजर आ रहा है। क्‍योंकि इस बार पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी से होने वाला है। लेकिन, इन सारी बातों से बेखबर लेफ्ट पार्टी के नेता अापस में ही वर्चस्‍व की लड़ाई लड़ रहे हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी CPM में सियासी घमासान शुरु हो गया है। एक ओर प्रकाश करात का गुट है तो दूसरी ओर सीताराम येचुरी का। दोनों ही गुटों में राजनैतिक वर्चस्‍व को लेकर तकरार चल रही है। इतना ही नहीं पार्टी के भीतर एक दूसरे के ही विकेट को गिराने की भी शुरुआत हो गई है।

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अभी बुधवार की ही बात है मॉर्क्‍सवादी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ने अपने राज्यसभा सांसद और एसएफआई के पूर्व अखिल भारतीय महासचिव रितब्रता बनर्जी को पार्टी से बाहर का रास्‍ता दिखा दिया। उन्‍हें सीपीएम से निष्‍कासित कर दिया गया। जून महीने में राज्‍यभा के युवा सांसद रितब्रता बनर्जी को पार्टी से निष्‍कासित करने की सिफारिश की गई थी। रितब्रता बनर्जी पर अंतिम फैसला सीपीएम की केंद्रीय समिति की बैठक में लिया जाना था। रितब्रता बनर्जी सीताराम येचुरी के बेहद करीबी हैं। उन्‍होंने बनर्जी को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रखा था। जबकि प्रकाश करात गुट बनर्जी को एक मिनट भी पार्टी के भीतर नहीं देखना चाहता था। फाइनली बुधवार को रितब्रता बनर्जी को सीपीएम से बाहर कर दिया गया।

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इस सूरत में रितब्रता बनर्जी का पार्टी से निष्कासित होना सीताराम येचुरी की करारी शिकस्‍त के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, प्रकाश करात और सीताराम येचुरी के बीच सियासी वर्चस्‍व को लेकर चल रही ये सियासी जंग उस वक्‍त खुलकर सामने आई थी जब रितब्रता बनर्जी ने एक टीवी चैनल को इंटरव्‍यू दिया था। बनर्जी ने अपने इस इंटरव्‍यू में प्रकाश करात के बेहद करीबी मोहम्‍मद सलीम के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली थी। जिसके बाद मोहम्‍मद सलीम ने इस बात की शिकायत प्रकाश करात से की थी। मोहम्‍मद सलीम रितब्रता बनर्जी के खिलाफ शिकायतों की जांच के लिए पार्टी की ओर से बनाई गई तीन सदस्यीय जांच समिति के अध्‍यक्ष थे।

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अपने इंटरव्‍यू में सीताराम येचुरी के चहेते रितब्रता बनर्जी ने सलीम पैनल को “कंगारू आयोग” करार दिया था। अपने इंटरव्‍यू में ये भी साफ कर दिया था कि उनकी लडाई सलीम से नहीं बल्कि प्रकाश करात और वृंदा करात से है। मतलब साफ था कि मॉर्क्‍सवादी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। रितब्रता बनर्जी का कहना था कि कम्‍युनिस्‍ट पार्टी का मकदस समाज को बदलने से है। लेकिन, उसी के पोलित ब्‍यूरो में कोटा हो जाता है। अगर आप मुसलमान हैं तो पोलित ब्‍यूरो के सदस्‍य हो सकते हैं। अगर आप महिला हैं तो इसके पात्र हैं। लेकिन, कॉमरेडों को जगह नहीं मिलती। कम्‍युनिस्‍ट पार्टी में कब से धर्म के आधार पर पोलित ब्‍यूरो के सदस्‍य चुने जाने लगे। उनका ये बयान प्रकाश करात को नहीं भा रहा था। बहरहाल, वर्चस्‍त की इस जंग में सीताराम येचुरी का एक विकेट गिराकर प्रकाश करात ने पार्टी के भीतर अपनी ताकत का नमूना दिखा दिया है।