हनीप्रीत भाग रही है या फिर भगाई जा रही है ? किसे बचा रही है खट्टर की पुलिस ?

पिछले करीब एक महीने से डेरा सच्‍चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की मुंहबोली बेटी फरार है। पुलिस अब तक उस तक नहीं पहुंच पाई है। जानिए क्‍यों ?

New Delhi Sep 23 : 25 अगस्‍त को हनीप्रीत को आखिरी बार रोहतक में देखा गया था। उस दिन के बाद से वो फरार है। कहने को उसके और पुलिस के बीच लुका-छिपी का खेल चल रहा है। लेकिन, कई बार ये भरोसा कर पाना बड़ा मुश्किल हो जाता है कि हरियाणा पुलिस वाकई में सीरियस होकर हनीप्रीत को ढूंढ भी रही है या फिर यूं ही किसी को बचाने के लिए अंधेरे में तीर मारा जा रहा है। हरियाणा में दो ताजा तरीन ऐसे मामले हैं जिसे देखने के बाद पुलिस की कार्यशैली पर यकीन करना मुश्किल होता है। पहला मामला तो खुद राम रहीम का ही है और दूसरा गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्‍कूल में प्रद्युम्‍न की हत्‍या का है। जिस दिन पंचकुला में सीबीआई की विशेष अदालत में राम रहीम पर फैसला आना था उस दिन पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की मनाही के बाद भी हजारों की तादाद में डेरा प्रेमी पंचकुला पहुंच गए थे और पुलिस तमाशबीन बनी हुई थी।

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प्रद्युम्‍न केस में भी सबूत रौेंदे जा चुके हैं। हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर खुद इस केस की जांच सीबीआई से कराने की बात कर चुके हैं। लेकिन, अब तक सीबीआई की जांच शुरु नहीं हो पाई है। दिन बढ़ते जा रहे हैं सबूत नष्‍ट होते जा रहे हैं। राम रहीम के केस में भी अदालत को जिस बात का डर था वही हुआ। इधर फैसला आया और उधर, पंचकुला में हिंसा भड़क गई। 36 लोगों को अपनी जान बचानी पड़ी। हरियाणा पुलिस अगर सतर्क रहती, पहले से ही सख्‍ती बरतती तो 36 लोगों की जानों को बचाया जा सकता था। लेकिन, खट्टर सरकार तो डेरा के सामने नतमस्‍तक थी। राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के बाद पुलिस को पता था कि आगे की इंवेस्‍टीगेशन के लिए उसके खासमखास लोगों से पूछताछ की जरुरत पड़ सकती है। फिर भी हरियाणा पुलिस ओवर कांफिडेंस रही। हनीप्रीत तक पर नजर नहीं रखी गई।

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क्‍या आपको लगता है कि हनीप्रीत इतनी शातिर हो चुकी है कि पूरे राज्‍य की पुलिस को चकमा देती घूमी ? वो भी तक जब वो पहले से अपराधी ना रही हो। हनीप्रीत के नेपाल भागने की खबर भी झूठी निकली। इस मामले में हरियाणा पुलिस के कई दावे गलत साबित हुए। हो सकता है कि वाकई हनीप्रीत पुलिस से लगातार भाग रही हो, कुछ खास लोग उसकी मदद कर रहे हों। लेकिन, फिर भी ना जाने क्‍यों हरियाणा और पंजाब पुलिस इस मामले में लोगों का विश्‍वास जीत ही नहीं पा रही है। कहीं हरियाणा पुलिस का छापा पड़ता है तो पंजाब पुलिस भाग खड़ी होती है। ये वही पंजाब पुलिस है जिसके जवान डेरा सच्‍चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की सिक्‍योरिटी में भी तैनात थे और राम रहीम को अदालत से भगाने की फिराक में थे।

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अब जरा सोचिए कि जब राम रहीम को हरियाणा सरकार की ओर से सिक्‍योरिटी दी गई थी तो फिर उसमें बिना हरियाणा सरकार की जानकारी के पंजाब पुलिस के कमांडोज कैसे घुस गए। ना पंजाब सरकार को पता ना हरियाणा सरकार को पता। अरे ये सब मजाक है क्‍या भाई। क्‍या आम जनता को ये सारी बातें समझ में नहीं आती है। पब्लिक को सब दिख रहा है और उसे सब पता भी है। हर किसी को ये बात पता है कि अगर पुलिस अपने पर आ जाए तो कोई भी अपराधी ज्‍यादा दिनों तक उससे बचकर नहीं छिप सकता है। हनीप्रीत तो नई आरोपी है। उसे ना तो पुलिस से भागने का कोई तजुर्बा है और ना ही कानून से बचने के पैंतरे पता हैं। लेकिन, अगर खुद पुलिस ही किसी को भगाने या फिर बचाने पर उतर आए तो कुछ कहा नहीं जा सकता। इस मसले पर हरियाणा पुलिस पर उस वक्‍त तक भरोसा करना मुश्किल होगा जब तक हनीप्रीत सलाखाें के पीछे नहीं पहुंच जाती।