गजब है ! बीएचयू के वाइस चांसलर ही देश का सौभाग्य हैं
बीएचयू वाइस चांसलर की गरिमा गिराने का श्रेय पूर्ववर्ती और मौजूदा सरकार दोनों को जाना चाहिए। राज्य सरकारें भी चापलूस भरने में कम नहीं हैं।
New Delhi Sep 26 : सौभाग्य और नया इंडिया का ब्रांड अंबेसडर बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को बना देना चाहिए। ये देश का सौभाग्य है कि बीएचयू को ऐसा योग्य वीसी मिला है। उन्हें ब्रांड अंबेसडर न बनाया जाना सौभाग्य के लिए दुर्भाग्य होगा। नया इंडिया के लिए उनके विचार ‘गया इंडिया’ का अहसास कराएँगे। नया ईंवेंट आ गया है। नया ब्रांड अंबेसडर भी आना चाहिए। भारत की लड़कियाँ अपना रास्ता तय करेंगी। उनके परिवार के लोग देखें कि नया इंडिया के नाम पर सारा ख़र्चा विज्ञापन में हो रहा है या ज़मीन पर भी कुछ हो रहा है। वाइस चांसलर की गरिमा गिराने का श्रेय पूर्ववर्ती और मौजूदा सरकार दोनों को जाना चाहिए। राज्य सरकारें भी चापलूस भरने में कम नहीं हैं।
एक ही वाइस चांसलर क्यों, आप लाइन से देखिए, क्या हालत हो गई शिक्षा संस्थानों की। जानबूझ कर यूनिवर्सिटी को बर्बाद किया जा रहा है ताकि नौजवान राष्ट्रवाद की आड़ में हिन्दू मुस्लिम टॉपिक खेलते रहें। आप पास के किसी भी यूनिवर्सिटी चले जाइये, नया इंडिया गया इंडिया लगेगा। बोगस स्लोगन से राष्ट्र का निर्माण नहीं होता है। आप जिन थर्ड क्लास नेताओं की भक्ति में झोंटा झोंटी करते रहते हैं, उनकी पूजा ख़त्म हो गई हो तो ज़रा अपने और अपने बच्चों के भविष्य के लिए सोचें। क्या यूनीवर्सिटी को बर्बाद कर देने में भी आप अपना भला समझ रहे हैं? लड़कियों के साथ हुई छेड़खानी का मामला इतना बड़ा तो था कि वीसी तुरंत हस्तक्षेप कर सकते थे। इससे उनकी तारीफ ही होती।
बाहरी बाहरी ऐसे किये जा रहे हैं जैसे अपने छात्रों को कम बाहरी को ही ज़्यादा जानते हों। कई बार कहा कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में पेट्रोल बम चलते हैं, जिस तरह से बम बम कर रहे थे, लगा कि पेशावर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर से बात कर रहा हूँ। अगर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में इतनी आसानी से बम चलते हैँ तो इसे देशहित में जेएनयू यानी जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी बनाना अपरिहार्य हो जाता है। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में छात्र पढ़ाई के साथ राजनीति भी करते हैं। कोई बम नहीं चलाता। टैंक की सबसे अधिक ज़रूरत बीएचयू को है। सरकार तत्काल टैंक उपलब्ध कराए ताकि जब बीएचयू में पेट्रोल बम चले तो वाइस चांसलर साहब टैंक में बैठकर मोर्चे पर जा सकें।
ये तर्क और कुछ नहीं सिर्फ और सिर्फ हिन्दू मुस्लिम ज़हर में गहरे यक़ीन से आते हैं। चाहें अपने बच्चे बर्बाद हो जाएँ , पुलिस लाठियों से लड़कियों को पीट दे, जनता हिन्दू मुस्लिम नफरत से बाहर निकलकर इसे नोटिस भी नहीं करेगी। जब आप चुनाव के लिए राजनीति नहीं करते तो यही बता दीजिए कि ये एक से एक वाइस चांसलर कहाँ से और किसलिए लाए हैं। किस बात का गुस्सा है जो आप देश के नौजवानों से निकाल रहे हैं। नौजवान बता दें कि ये कौन सा फ़िज़िक्स का सवाल है कि विनाश का खेल समझ नहीं आ रहा है। (वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं। जरूरी नहीं है कि www.indiaspeaks.news लेखक के विचारों से सहमत हो।)