आखिर मुलायम सिंह यादव ने ले ही ली शिवपाल यादव की सियासी बलि ?

लगता है कि मुलायम सिंह यादव ने बेटे और भाई में बेटे अखिलेश यादव को ही चुन लिया है। उनकी अखिलेश से करीबी बढ़ गई है। जबकि शिवपाल दूर हो गए हैं।

New Delhi Sep 28 : समाजवादी पार्टी में जिस चीज का डर था वही हुआ। अपने भाई मुलायम सिंह यादव के लिए हमेशा लड़ने वाले शिवपाल यादव अब पार्टी और परिवार में बेगाने होते नजर आ रहे हैं। मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की दूरियां कम होने लगी हैं। लेकिन, मुलायम और अखिलेश की इस कम होती दूरी में मुलायम और शिवपाल का फासला बढ़ता जा रहा है। सोमवार को मुलायम सिंह यादव नई पार्टी के गठन का एलान करने वाले थे। लेकिन, उन्‍होंने ऐन वक्‍त पर अपना फैसला बदल दिया। माना जा रहा है कि अखिलेश ने इस संबंध में उसने बात की थी। इस घटना के चार दिन बाद यानी गुरुवार को अखिलेश अपने पिता से मिलने पहुंचे उनका आशीर्वाद लिया।  

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अखिलेश और मुलायम की ये मुलाकात बताती है कि दोनों के बीच की कड़वाहट अब कम हो रही है। गुरुवार को हुई इस मुलाकात में अखिलेश ने मुलायम सिंह यादव को पांच अक्‍टूबर को आगरा में होेने वाले पार्टी के राष्‍ट्रीय अधिवेशन में आने का न्‍यौता भी दिया। नेता जी पार्टी के इस राष्‍ट्रीय अधिवेशन में शामिल होंगे। जबकि इससे पहले ना तो मुलायम अखिलेश के किसी कार्यक्रम में जा रहे थे और ना ही अखिलेश उनकी ओर से बुलाई गई मीटिंगों में पहुंच रहे थे। आगरा में होने वाला राष्‍ट्रीय अधिवेशन काफी महत्‍वपूर्ण है। इसी अधिवेशन में समाजवादी पार्टी के नए अध्‍यक्ष का चुनाव किया जाएगा। ऐसे में सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्‍या अखिलेश यादव इसी अधिवेशन में नेता जी को उनका सम्‍मान लौटा देंगे ?

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क्‍या मुलायम सिंह यादव एक बार फिर से समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष बनेंगे ? अगर ऐसा होता है तो ये शिवपाल यादव की जीत होगी। लेकिन, ऐसी जीत जिसका जश्‍न शायद बिना शिवपाल यादव के ही मनाया जाएगा। शिवपाल यादव लंबे समय से ये मांग कर रहे थे कि अखिलेश यादव मुलायम सिंह को उनका सम्‍मान वापस करें। उन्‍होंने पार्टी की जिस कुर्सी पर अपना हक जमाया वो उन्‍हें लौटाई जाए। लेकिन, अखिलेश यादव चाचा की बात मानने के मूड़ में नहीं थे। जिसके बाद शिवपाल यादव और मुलायम सिंह ने नई पार्टी के गठन का फैसला किया था। लेकिन, पुत्रमोह में मुलायम शिवपाल के इस अरमान पर भी पानी फेर चुके हैं। वो सोमवार को ऐनवक्‍त पर पलट गए थे। उन्‍होंने नई पार्टी बनाने की कोई बात नहीं की।

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पांच तारीख को आगरा में आयोजित होने वाले समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अधिवेशन में क्‍या होगा ये देखना बेहद दिलचस्‍प है। हो सकता है कि मुलायम सिंह यादव को सबकुछ मिल जाए। बेटा मिल जाएगा, पद मिल जाएगा, खोया हुआ सम्‍मान मिल जाएगा। लेकिन, शिवपाल यादव का क्‍या होगा ? क्‍या पांच तारीख के पहले या फिर बाद में मुलायम सिंह यादव शिवपाल को मनाने की कोशिश करेंगे ? क्‍या मुलायम सिंह यादव और रामगोपाल यादव के बीच चल रही टशन खत्‍म होगी ? क्‍योंकि जिस तरह से अखिलेश यादव और रामगोपाल को शिवपाल यादव पसंद नहीं हैं। उसी तरह से मुलायम सिंह यादव और शिवपाल को रामगोपाल फूटी आंख नहीं सुहाते। परिवार के इस झगड़े में कडवाहट बेशक कम होती नजर आ रही हो लेकिन, रिश्‍ते के अभी कई सवाल मुंह बाए खड़े हैं।