सोनिया गांधी और अहमद पटेल ने ‘ठगा’ था नारायण राणे को, अब लेंगे ‘बदला’

कांग्रेस पार्टी के पूर्व नेता और महाराष्‍ट्र के पूर्व मुख्‍यमंत्री नारायण राणे आने वाले दिनों में महाराष्‍ट्र में कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बनने वाले हैं।

New Delhi Oct 01 : कांग्रेस पार्टी में अपने ही नेताओं को ठगने की पुरानी परंपरा है। इस बात को एक बार फिर साबित किया है महाराष्‍ट्र के पूर्व मुख्‍यमंत्री नारायण राणे ने। जो पहले कांग्रेस पार्टी में ही हुआ करते थे लेकिन, अब वो हाथ का साथ छोड़ चुके हैं। उन्‍होंने अपनी नई पार्टी के गठन का एलान कर दिया है। नारायण राणे महाराष्‍ट्र स्‍वाभिमान पक्ष के नाम से राज्‍य में नई पार्टी बनाएंगे। इस पार्टी के जरिए वो कांग्रेस पार्टी में खोया अपना स्‍वाभिमान वापस हासिल करना चाहेंगे। दरसअल, ये बातें इसलिए कही जा रही हैं क्‍यों कि खुद नारायण राणे ये दावा करते हैं कि कांग्रेस की अध्‍यक्ष सोनिया गांधी और उनके राजनैतिक सलाहकार अहमद पटेल ने उन्‍हें ठगा है। उनके साथ विश्‍वासघात किया है। उन्‍हें धोखा दिया है।

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रविवार को नारायण राणे ने महाराष्‍ट्र के तटीय कोंकण क्षेत्र में अपने पैतृक जिले सिंधुदुर्ग में प्रेस कांफ्रेंस की। भरी मीडिया के सामने उन्‍होंने सोनिया गांधी और अहमद पटेल पर आरोप लगाए कि इन दोनों ही नेताओं ने उनसे विश्‍वासघात किया है। नारायण राणे का कहना था कि जब वो कांग्रेस में शामिल हुए थे तो उन्‍हें सोनिया गांधी और अहमद पटेल ने आश्‍वासन दिया था कि उन्‍हें महाराष्‍ट्र का मुख्‍यमंत्री बनाया जाएगा। मैडम सोनिया गांधी ने तो उन्‍हें दो बार ये बात कही थी। लेकिन, इन नेताओं ने एक बार भी अपना वादा पूरा नहीं किया। जबकि शिवसेना में रहते हुए 1999 में नारायण राणे महराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री बने थे। नारायण राणे की नाराजगी तो कांग्रेस हाईकमान से उसी दिन से शुरु हो गई थी जब उन्‍हें इन बड़े नेताओं की दगाबाजी का पता चला था।

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नारायण राणे का मन पार्टी से खट्टा हो गया था। यहां तक की जब महाराष्‍ट्र में राहुल गांधी की रैलियां होती थीं तब भी उन्‍हें इन रैलियों में शामिल होने का न्‍यौता ही नहीं दिया जाता था। इसलिए वो खुद भी इन रैलियों में नहीं जाते थे। कांग्रेस से नाराजगी के चलते ही उन्‍होंने इस पार्टी को अलविदा कह दिया था। हालांकि इसके बाद चर्चाएं ये भी थीं कि वो भारतीय जनता पार्टी में जा सकते हैं। लेकिन, नारायण राणे ने अपनी नई पार्टी के गठन का फैसला किया। कांग्रेस की दगाबाजी से साफ है कि महाराष्‍ट्र में राणे की सबसे बड़ी दुश्‍मन पार्टी अब कांग्रेस ही होगी। महाराष्‍ट्र में कांग्रेस की लुटिया डुबोने में नारायण राणे अब कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। नारायण राणे के साथ-साथ उनके बेटे नीलीश राणे भी पार्टी छोड़ चुके हैं।  

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हालांकि सवाल ये भी उठ रहे हैं कि आखिर नारायण राणे ने भारतीय जनता पार्टी क्‍यों ज्‍वाइन नहीं की। जबकि इससे पहले उन्‍होंने भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह से भी मुलाकात की थी। 21 सितंबर को राणे ने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कहा था और इसके ठीक चार दिन बाद ही वो अमित शाह से मिले थे। दोनों की मुलाकात 25 सितंबर को हुई थी। इतना ही नहीं अमित शाह से मुलाकात से एक दिन पहले यानी 24 सितंबर को उन्‍होंने महाराष्‍ट्र बीजेपी के कई नेताओं से मुलाकात की थी। इस मीटिंग में महाराष्‍ट्र बीजेपी के प्रमुख रावसाहेब पाटिल दानवे भी शामिल थे। बहरहाल, राणे अब नई पार्टी के गठन का एलान कर चुके हैं। जिससे एक बात तो साफ है कि 2019 के  लोकसभा चुनाव में राणे महाराष्‍ट्र में कांग्रेस की मिट्टी जरूर पलीत करेंगे।