‘सरदार पटेल’ को सम्‍मान ना देने वाली कांग्रेस को गुजरात में ‘हार्दिक पटेल’ का भरोसा !

इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव की जंग दिलचस्‍प होगी। बीजेपी सरदार पटेल के भरोसे हैं तो कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को हार्दिक पटेल का सहारा है।  

New Delhi Oct 02 : माफ कीजिएगा। सरदार पटेल के साथ हार्दिक पटेल का नाम जोड़ना सरदार बल्‍लभ भाई पटेल का अपमान होगा। लेकिन, गुजरात की राजनीति ही कुछ ऐसी बनती हुई नजर आ रही है कि दोनों का जिक्र करना बेहद जरुरी है। जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने हमेशा से सरदार पटेल को पूरा सम्‍मान दिया। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगते हैं कि सरदार पटेल को जितना सम्‍मान उन्‍हें देना चाहिए वो नहीं दिया गया। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनके कई फैसलों को नहीं माना। जिसका दंश आज भी देश को झेलना पड़ रहा है। कश्‍मीर उसका सबसे बड़ा उदारहण है। सरदार पटेल को लेकर इतिहास को कुरेदेंगे तो काफी तकलीफ होगी। शायद यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी अपनी ओर से अब उनके सम्‍मान में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है।

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गुजरात में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने है। भारतीय जनता पार्टी को सरदार बल्‍लभ भाई पटेल का सहारा है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस हार्दिक पटेल के सहारे है। जब कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी गुजरात पहुंचे थे तो हार्दिक पटेल ने उनका स्‍वागत किया था। माना जा रहा है कि चुनाव से पहले राहुल गांधी हार्दिक पटेल के साथ गठजोड़ कर सकते हैं। लेकिन, बीजेपी उनकी इस चाल को कभी भी कामयाब नहीं होने देगी। खासतौर पर सौराष्‍ट्र में। बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह गुजरात में चुनावी बिगुल फूंकते हुए गुजरात गौरव यात्रा की शुरुआत कर चुके हैं। खास बात ये है कि इस यात्रा की शुरुआत अमित शाह ने करमसद से की है। करमसद लौह पुरूष यानी सरदार बल्‍लभ भाई पटेल का जन्‍मस्‍थान है।  

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राहुल गांधी भी गुजरात पहुंचे और पटेलों को लेकर राजनीति गरमानी शुरु की। लेकिन, उन्‍हें सरदार पटेल का ख्‍याल नहीं आया। शायद इसलिए कि उन्‍हें लगता है कि सरदार पटेल तो बीजेपी के हैं। कांग्रेस के पटेल तो सिर्फ हार्दिक पटेल हैं। बीजेपी के नेता गौरव विकास यात्रा के तहत अपने दो दशकों के कामकाज का ब्‍यौरा जनता के सामने पेश करेगी। करमसद से इस अभियान की शुरुआत सौ फीसदी सौराष्‍ट्र में पटेलों को लुभाएगी। इस यात्रा को राहुल गांधी की काट के तौर पर भी देखा जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी यहां पर नाराज चल रहे पटेल समुदाय के लोगों को एक बार फिर अपने साथ करने की कोशिश करेगी। माना जा रहा है क‍ि आरक्षण आंदोलन के बाद से पटेल समुदाय बीजेपी से नाराज चल रहा है।

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राज्‍य में करीब बीस फीसदी आबादी पटेलों की है। जिसका प्रभाव करीब 70 सीटों पर देखा जा सकता है। यही वजह है कि कांग्रेस के उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी की नजर सौराष्‍ट्र के पटेलों पर टिकी हुई है। बीजेपी भी पटेलों की नाराजगी नहीं बढ़ाना चाहती है और ना ही वो राहुल गांधी और हार्दिक पटेल को हल्‍के में लेना चाहती है। इस इलाके में बीजेपी की सक्रियता से साफ है कि वो सरदार पटेल के नाम पर रूठे हुए पटेलों को आसानी से मना लेगी। जबकि हार्दिक पटेल को ये तय करना होगा कि वो गुजरात में एकला चलो का फॉर्मूला अपनाते हैं या फिर चुनाव से पहले राहुल गांधी के साथ गठबंधन कर कांग्रेस का मोहरा बनना पसंद करते हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव में शह और मात का खेल हर कोई खेलना चाहता है। लेकिन, सभी नेता शतरंज के माहिर खिलाड़ी नहीं हैं।