अब अल्लाह भी नहीं बचा पाएगा तुम देशद्रोहियों को, जेल में मनेगी दिवाली !
टेरर फंडिंग केस में कश्मीर के अलगाववादी देशद्रोहियों को अब दुनिया की कोई भी ताकत बचा नहीं सकती है। एनआईए के पास इनके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं।
New Delhi Oct 02 : टेरर फंडिंग केस में कश्मीर के अलगाववादी रूपी देशद्रोहियों का कानून के चंगुल से बच पाना बेहद मुश्किल है। लंबे समय से राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए टेरर फंडिंग पर काम कर रही है। एनआईए के हाथ कश्मीर के हुर्रियत नेताओं के गले तक पहुंचने वाले हैं। किसी भी क्षण इन लोगों को देशद्रोह के आरोप में उठाया जा सकता है। दुनिया की कोई भी ताकत अब इन्हें बचा नहीं सकती है। जानकारी के मुताबिक एनआईए ने इन देशद्रोहियों के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटा लिए हैं। इन्हीं सबूतों के आधार पर अब एनआईए के निशाने पर हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूख होंगे। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के मुखिया यासीन मलिक की भी गिरफ्तारी तय मानी जा रही है।
दरअसल, राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने टेरर फंडिंग केस में कई अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार किया है। उनसे पूछताछ और गवाहों के बयानों से जो तस्वीर सामने आई है उससे साफ हो रहा है कि कश्मीर में टेरर फंडिंग के मास्टरमाइंड सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूख और यासीन मलिक ही हैं। एनआईए ने इन देशद्रोहियों को पकड़ने के लिए टेरर फंडिंग केस से जुड़े पांच आरोपियों और गवाहों के 164 के तहत बयान दर्ज कराए हैं। ताकि वो बाद में अपने बयान से मुकर ना सकें। पांचों आरोपियों और गवाहों ने बताया है कि हुर्रियत का टॉप कमांड पाकिस्तान और आतंकी संगठनों के संपर्क में रहता है। उसके इशारे पर ही कश्मीर में हिंसा फैलाई जाती है। जिसके बाकायदा उन्हें फंडिंग होती है।
इसके अलावा गिरफ्तार किए गए लोगों के घरों पर छापेमारी में एनआईए को बहुत से ऐसे दस्तावेज मिले हैं जो ये साबित करते हैं कि कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए फंंडिंग पाकिस्तान से होती है। ये पैसा कश्मीर में बैठे देशद्रोहियों तक पहुंचाया जाता है। ये सारे सबूत हुर्रियत नेताओं तक फंड पहुंचाए जाने की पूरी की पूरी कहानी बयां कर रहे हैं। अदालत के भीतर ये दस्तावेज और सबूत हुर्रियत नेताओं को बेनकाब करने के लिए काफी हैं। इतना ही नहीं एनआईए को जांच में ये भी पता चला है कि कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए दिल्ली में स्थिति पाकिस्तानी दूतावास भी हमेशा सक्रिय रहता है। पाकिस्तानी दूतावास हुर्रियत नेताओं के संपर्क में रहता है। टेरर फंडिंग का अरेंजमेंट दिल्ली से भी किया जाता था।
जाहिर है जल्द ही कश्मीर के इन देशद्रोहियों से एनआईए पूछताछ करेगी। हालांकि सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ फंटूस को एनआईए पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। उसके बेटे और खुद गिलानी को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा जा चुका है। लेकिन, एनआईए का नोटिस मिलते ही इन लोगों ने बीमारी का बहाना बना लिया था। आखिर कब तक ये देशद्रोही यूं ही बीमारी का बहाना बनाकर पूछताछ से बचते रहेंगे। आज नहीं तो कल इन देशद्रोहियों को जेल की हवा खानी ही पड़ेगी। सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूख और यासीन मलिक जैसे देश के गद्दार और देशद्रोहियों को जेल जाना ही होगा। दुनिया की कोई भी ताकत इन्हें बचा नहीं सकती है। इनकी तो दिवाली भी जेल में ही मन सकती है। बस थोड़ा इंतजार कीजिए।