क्‍यों अपनी फजीहत कराने पर उतारू हैं लालू यादव ? भारी पड़ेगी CBI नोटिस की अनदेखी

भ्रष्‍टाचार के आरोपों में घिरे लालू यादव एक ओर तो कहते हैं कि मैं पाक साफ हूं। दूसरी ओर वो सीबीआई नोटिसों से भागते फिर रहे हैं। लेकिन, कब तक ?  

New Delhi Oct 03 : तमाम भ्रष्‍टाचार के आरोपों में घिरे बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का इस वक्‍त दोहरा चरित्र देखने को मिल रहा है। एक ओर तो वो कहते हैं कि उन पर जो भी भ्रष्‍टाचार के आरोप लगाए गए हैं वो पूरी तरह बेबुनियाद हैं। सीबीआई की जांच भी राजनैतिक साजिश है। वो कहते हैं क‍ि मैं पूरी तरह पाक साफ हूं। किसी भी जांच एजेंसी का सामना करने को तैयार हूं। वहीं दूसरी ओर लालू यादव और उनका बेटा तेजस्‍वी यादव लगातार सीबीआई के नोटिसों से बचते घूम रहे हैं। सीबीआई नोटिसों की अनदेखी करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, शायद लालू यादव और तेजस्‍वी यादव इस बात को भूल रहे हैं कि सीबीआई के इन नोटिस की अनदेखी करना उन्‍हें कितना भारी पड़ सकता है।

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ये नोटिस उनकी फजीहत करा सकते हैं। सीबीआई लालू यादव और तेजस्‍वी यादव को दो बार नोटिस भेज चुकी है। लेकिन, कभी लालू बीमारी का बहाना बना लेते हैं तो कभी तेजस्‍वी राजनैतिक कार्यक्रमों की व्‍यस्‍तता दिखाकर सीबीआई के सामने पेश होने से बचते नजर आ रहे हैं। लालू यादव को ये बात बहुत अच्‍छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि उनको भेजे जाने वाले नोटिस सरकारी हैं। एक जांच एजेंसी के नोटिस हैं। जो उनके खिलाफ घोटालों की जांच कर रही है। अगर तीन अक्‍टूबर को लालू यादव और चार अक्‍टूबर को तेजस्‍वी यादव सीबीआई के सामने पेश नहीं होते हैं तो हो सकता है कि इस बार बाप-बेेटे के खिलाफ वारंट जारी हो जाए। सीबीआई कोर्ट का ये वारंट जमानती और गैर जमानती भी हो सकता है।

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क्‍या लालू यादव और तेजस्‍वी यादव ये चाहते हैं कि पांच अक्‍टूबर के बाद न्‍यूज चैनल्‍स पर बड़ी-बड़ी ये ब्रेकिंग चले कि लालू और तेजस्‍वी के खिलाफ वारंट जारी, लालू और तेजस्‍वी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी। जो रवैया लालू ने इस वक्‍त अपनाया हुआ है अगर वो आगे भी जारी रहा तो यकीनन ये दिन भी उन्‍हें देखने पड़ेंगे। अगर उन्‍हें लगता है कि वो ऐसा दिन देखकर पॉलिटिकल माइलेज हासिल कर लेंगे तो ये भी उनकी गलतफहमी होगी। जनता के बीच सीधा मैसेज जाएगा कि लालू यादव और उनका परिवार रेलवे घोटाले में सीबीआई की जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। लालू शायद ये बात भूल रहे हैं कि वो सिर्फ शक के दायरे में ही नहीं हैं बल्कि इस घोटाले में सीबीआई ने उन्‍हें आरोपी भी बनाया है। वो भी तथ्‍यों के आधार पर। ना कि पॉलिटिकल ग्राउंड पर।

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कानून भी ये कहता है कि अगर किसी केस में कोई आरोपी है या फिर शक के दायरे में है तो उसे जांच एजेंसी के बुलावे पर हाजिर होना ही पड़ेगा। अगर लालू यादव और उनके बेटे तेजस्‍वी इसी तरह से सीबीआई के नोटिस की अनदेखी करते रहे तो अदालत से वारंट जारी होने के बाद उन्‍हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है। जिसमें जमानत भी आसानी से नहीं मिलती। सीबीआई के पास भी कोई विकल्‍प नहीं बच रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो यकीनन लालू की फजीहत होनी तय है। जिसके जिम्‍मेदार वो खुद ही होंगे। अगर लालू ने कुछ गलत नहीं किया है तो वो छाती ठोंककर जांच एजेंसी के सामने हाजिर हो सकते हैं। जांच में पूरा सहयोग कर सकते हैं। लेकिन, नोटिस से कतराने से उन पर बना सीबीआई का शक कम होने की बजाए और गहरा होगा। जिसका हिसाब जनता भी मांगेगी।