नेता जी के बिना हुई अखिलेश यादव की ‘ताजपोशी’, चचा भी रहे नदारद
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव को एक बार फिर पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया गया है। पांच साल तक वो पार्टी के अध्यक्ष बने रहेंगे।
New Delhi Oct 05 : आगरा में समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन शुरु हो चुका है। समाजवादी पार्टी के इस दसवें राष्ट्रीय अधिवेशन में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ताजपोशी भी हो गई है। उन्हें एक बार फिर से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है। इसके साथ ही पार्टी के संविधान में संसोधन करते हुए इस इस पद की मियाद को भी तीन से बढ़ाकर पांच साल तक के लिए कर दी गई है। यानी अखिलेश यादव अब अगले पांच साल तक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पद की कुर्सी पर विराजमान नजर आएंगे। बेशक यहां पर अखिलेश यादव की ताजपोशी हो चुकी हो लेकिन, सबसे खास बात ये है कि जिस वक्त उन्हें पार्टी का अध्यक्ष चुना गया और इसकी घोषणा की गई उस वक्त ना तो मुलायम सिंह यादव इस अधिवेशन में मौजूद थे और ना ही उनके चाचा शिवपाल यादव।
ऐसे में एक बार फिर से ये सवाल खड़े होने शुरु हो गए हैं कि क्या समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव के बीच जो बात बनती हुई नजर आ रही थी वो महज दिखावा भर ही थी। या फिर मुलायम सिंह यादव की कोई और नई राजनीति है। समाजवादी के पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन के मंच पर अखिलेश यादव थे। रामगोपाल यादव थे। आजम खान और नरेश अग्रवाल थे। लेकिन, मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव नहीं थे। अखिलेश यादव खुद इस अधिवेशन के लिए पिता मुलायम सिंह यादव को न्यौता देने के लिए घर गए थे। जहां पर उनकी और नेता जी के बीच घंटों बात हुई थी। तभी ये तय हो गया था कि मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में पहुंचेगे।
लेकिन, मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर अप्रत्याशित दांव चल कर सभी को हैरान कर दिया है। इस अधिवेशन में मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव की गैरमौजूदगी ये बताने के लिए काफी है कि अभी सबकुछ ठीक नहीं है। जैसा दिख रहा है या फिर दिखाया जा रहा है, असल तस्वीर उससे कहीं ज्यादा अलग है। माना जा रहा था कि पिछले करीब नौ महीने से मुलायम सिंह यादव के कुनबे में मची ये कलह इस अधिवेशन के साथ खत्म हो जाएगी। लेकिन, अब तो ये बात भी बिगड़ती हुई नजर आ रही है। जबकि बुधवार तक लग रहा था कि पार्टी और परिवार के हालात पूरी तरह अखिलेश यादव के फेवर में हैं। शिवपाल यादव ने बुधवार को अखिलेश यादव को फोन कर पार्टी के अध्यक्ष के लिए अग्रिम बधाई भी दी थी।
जबकि दोनों के बीच लंबे समय से कोई बातचीत नहीं हो रही थी। समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव के परिवार के मौजूदा हालातों को तो देखकर यही कहा जा सकता है कि दुश्मनी की बर्फ अभी पिघलनी नहीं है। हर नेता अलग दिशा में चल रहा है। एक ओर अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव हैं तो दूसरी ओर शिवपाल यादव। जबकि मुलायम सिंह यादव बेटे अखिलेश यादव और भाई शिवपाल यादव के बीच झूलते हुए नजर आ रहे हैं। मुलायम सिंह यादव बेटे को आगे बढ़ाना चाहते हैं लेकिन, शिवपाल का साथ नहीं छोड़ना चाहते। शिवपाल यादव को रामगोपाल मंजूर नहीं हैं। जबकि अखिलेश उनके खिलाफ कुछ सुनना भी पसंद नहीं करते हैं। हर नेता के आर्टिफिशिल चेहरे के पीछे की हकीकत बहुत जुदा है।
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