व्यंग्य : हमारी रूह को जन्नत में क्या मज़ा होगा ?

दुनिया के किसी भी धर्मग्रंथ के अनुसार स्वर्ग या जन्नत के बासिंदों में जो लोग शामिल होंगे, वे हैं जटाधारी ऋषि-मुनि, दाढ़ी-टोपी वाले मुल्ले-मौलवी, बुरके और गज भर घूंघट वाली औरतें, आत्मरत योगी-योगिनी, साधु-साध्वी, पुजारी-पुजारन, सदाचारी और ब्रह्मचारी।

New Delhi, Oct 05 : भले ही यह किसी की कल्पना की उड़ान हो, लेकिन नर्क का कंसेप्ट मुझे हमेशा से लुभाता रहा है। अगर मरने के बाद सचमुच ऐसी कोई जगह है तो मैं स्वर्ग के बज़ाय नर्क में ही जाना पसंद करूंगा। स्वर्ग के बारे में जितना कुछ शास्त्रों में लिखा है, उसे पढ़कर कई आशंकाएं घेर लेती हैं। दुनिया के किसी भी धर्मग्रंथ के अनुसार स्वर्ग या जन्नत के बासिंदों में जो लोग शामिल होंगे, वे हैं जटाधारी ऋषि-मुनि, दाढ़ी-टोपी वाले मुल्ले-मौलवी, बुरके और गज भर घूंघट वाली औरतें, आत्मरत योगी-योगिनी, साधु-साध्वी, पुजारी-पुजारन, सदाचारी और ब्रह्मचारी। ऐसे ‘पवित्र’ लोगों के साथ हज़ारों-लाखों साल गुज़ारने की बात तो छोड़िए, दो दिन भी रह लेना मुश्किल होगा। इस ऊबाऊ भीड़ से थक गए तो दिल बहलाने का वहां कोई साधन नहीं। गायन के नाम पर ध्रुपद-धमार और वादन के नाम पर मृदंग और वीणा कितने दिन झेल पाएंगे हम ? नृत्य की महफ़िल सजाने वाली इन्द्र की समकालीन दर्जनों अप्सराएं अबतक लाखों साल की बूढ़ी हो चुकी होंगी। पकवानों और मेवा-मिष्ठान्नों के चाहे जितने प्रकार वहां मिल जायं, चिकन-मटन-मछली-अंडे जैसे स्वादोत्तेजक व्यंजन तो सपना ही हो जाएंगे। पृथ्वी लोक की नई-नवेली अप्सराओं की चर्चा छेड़कर देवराज इंद्र से थोड़ा सोमरस शायद हासिल हो जाय, लेकिन सोमरस पीकर थोड़ा बकने और बहकने का अवसर न मिले तो क्या फ़ायदा ! ऐसे मनहूस स्वर्ग में रहकर अनंतकाल तक दुर्दिन झेलने से बेहतर है कि अबतक अवांछित माने जाने वाले नर्क में ही कुछ संभावनाएं तलाशी जाएं !

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अब यह कहकर कोई नहीं डराए कि नर्क में यमराज के बड़े-बड़े सींगों वाले भयंकर दूत वहां दाख़िल लोगों को आग में भून कर, गर्म तेल के कड़ाहों में तल कर या भाले-बरछो से छेद कर पापों की सज़ा देते हैं। मरने के बाद जब देह ही नहीं होगी तो वे कलमुंहे भूनेंगे क्या, तलेंगे क्या और छेदेंगे किसको ? मरने के बाद हम सिर्फ आत्मा होते हैं जिसके बारे में भगवान कृष्ण गीता में कह गए हैं कि आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते, आग नहीं जला सकती, जल नहीं गला सकता और यहां तक कि वायु भी नहीं सुखा सकता। सो दंड के इस काल्पनिक डर को छोड़ दें तो दुनिया की सारी रंगीनियां नर्क में ही मौज़ूद होंगी। दुनिया के सारे रंगीनमिजाज़ स्त्री-पुरूष, बिना ब्याह के आपस मे प्रेम करने वाले तमाम प्रेमी-प्रेमिकाएं, सारे अफेयरबाज अभिनेता-अभिनेत्रियां वहीँ मिलेंगे। वहीँ पर स्त्रियों के नंगे-अधनंगे चित्र बनाने वाले सभी चित्रकार भी होंगे, ग़ैर औरतों का तसव्वुर करने वाले पुराने-नए कवि-शायर भी और पराई स्त्रियों के हुस्न की तारीफ़ में गीत गाने वाले गवैये भी। साहित्य, कला और संगीत का विराट संसार नर्क में आपके सामने होगा। आपको अखबार में छपने और मीडिया में दिखने का लोभ है तो अवसर आपके लिए वहां भी हैं। दिन-रात झूठ, भ्रम, मसाला और सनसनी परोसने वाले अनगिनत पत्रकार, मीडियाकर्मी और उनके मालिक भी वहां थोक में मिल जाएंगे !

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हमारी पृथ्वी के बाद नर्क ही एकमात्र जगह है जहां मृत्यु के उपरांत भी इंटरनेट, फेसबुक और गूगल का अभाव आपको महसूस नहीं होगा। हमारे अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब रखने के लिए चित्रगुप्त महाराज इंटरनेट का इस्तेमाल हज़ारों सालों से कर ही रहे हैं। उनके किसी सेवक को खिला-पिलाकर हॉटस्पॉट और ब्लूटूथ के माध्यम से कनेक्ट कर लेना मुश्किल नहीं होगा। पृथ्वीवासियों को पराई स्त्रियों और पुरुषों के साथ चैटिंग, प्रेम, धोखा और फिर ब्लैकमेलिंग के असीम अवसर उपलब्ध कराने वाले फेसबुक फेम मार्क जुकरबर्ग महोदय वहीँ जाएंगे। दुनिया भर की ब्लू फिल्मों, अश्लील साहित्य और तस्वीरों तथा गंदे ऑडियो-विडियो का विशाल साम्राज्य खड़ा करने वाले गूगल महोदय का आखिरी ठिकाना भी नर्क ही होने वाला है।

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फेसबुक पर अपने प्रेमियों और प्रेमिकाओं के नाम का पासवर्ड रखने वाले, अपने जीवनसाथी से छुपकर दूसरों के जीवनसाथियों पर डोरे डालने वाले, परस्त्रियों या परपुरुषों के लिए थोक-भाव में शेर और कविताएं पोस्ट करने वाले, एक दूसरे का चरित्र-हनन करने वाले, औरतों के इनबॉक्स में घुसकर जबरन प्रेम-निवेदन करने वाले, लड़कियों का फेक प्रोफाइल बनाकर लोगों को गंदे संदेश भेजने वाले, रात-रात भर चैट करने के बाद सुबह उठकर भगवान या ख़ुदा को याद करने के बजाय स्टेटस अपडेट करने वाले आपके असंख्य मित्र भी नर्क के सिवा और कहां जाएंगे ? स्वर्ग की बेरंग एकरसता की तुलना में नर्क की यह बहुरंगी विविधता क्या आपको परलोक के बारे में अपनी परंपरागत सोच बदल देने को मज़बूर नहीं करती ?
मेरा तो नर्क जाने का इरादा पक्का हुआ। आप बताईए दोस्तों, कहां जाना पसंद करेंगे आप ? अगर जीवन में आपके कुछ अर्जित पुण्य आपके नर्क के रास्ते में अवरोध पैदा कर रहे हैं तो इसका भी उपाय है। अपनी मित्र-सूची में शामिल फेसबुक के किसी प्रख्यात हैकर मित्र की सेवा लीजिए और चित्रगुप्त महाराज के पास मौजूद आपके कर्मों का अकाउंट हैक करवा कर वहां से अपने तमाम पुण्य डिलीट कर दीजिए ! नर्क का दरवाज़ा आपके लिए खुल जाएगा !

(Dhurv Gupt के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)