हिंदुस्तान के नक्शे-कदम पर बांग्लादेश, रोहिंग्या मुसलमानों पर बड़ा फैसला !
रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर बांग्लादेश भी अब हिंदुस्तान की राह पर चल पड़ा है। इस मुल्क से भी रोहिंग्याओं को बाहर किए जाने की खबर आ रही है।
New Delhi, Oct 06 : रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर पूरे हिंदुस्तान में चर्चाएं हो रही हैं। इस बीच भारत ने अपना रुख भी साफ कर लिया है कि रोहिंग्या अवैध तरीके से देश में रह रहे हैं, इसलिए उन्हें बाहर भेजा जाएगा। इस बीच बांग्लादेश ने भी रोहिंग्या मसले पर अपना रुख साफ कर दिया है। बांग्लादेश ने कहा है कि रोहिंग्याओं की समस्या म्यांमार की है। इस वजह से समाधान भी म्यांमार में ही ढूंढा जाना चाहिए। बांग्लादेश के विदेश सचिव मोहम्मद शहीदुल हक ने इस बारे में मीडिया को जानकारी दी है। उनका कहना है कि बांग्लादेश सरकार म्यांमार सरकार की मदद कर सकती है। इसके साथ ही उन्होंने कई और बातें भी मीडिया रको बताई है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में रोहिंग्याओं का रुकने से और भी ज्यादा परेशानियां बढ़ेंगी। उन्होंने साफ कहा है कि रोहिंग्या जल्द से जल्द अपने मुल्क वापस लौट जाएं। बांग्लादेश के विदेश सचिव इस वक्त नई दिल्ली में हैं। इस बीच उन्होंने कहा है कि म्यांमार ने अपने लोगों को वापस लेने में दिलचस्पी दिखाई है। इसके साथ ही आगे के विचारों पर भी बात की जा रही है। उनका कहना है कि बांग्लादेश सरकार ने म्यांमार को लिखित प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव में बताया गया है कि कैसे रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस ले सकते हैं। इसके लिए बकायदा एक वर्किंग ग्रुप तैयार किया गया है।
विदेश सचिव ने इस बारे में और भी जानकारी दी हैं। उनका कहना है कि रोहिंग्या शरणार्थियों में ज्यादातर मुस्लिम हैं। इस बीच खबर है कि म्यांमार ने रखाइन से बांग्लादेश भागकर गए रोहिंग्याओं में से करीब 5 लाख को वापस लेने का प्रस्ताव दिया है। म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची के ने बांग्लादेश के विदेश मंत्री से बातचीत की है। इसमें रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस लेने की बात की गई थी। इस वक्त रोहिंग्या मसले पर म्यांमार सरकार की विश्व भर में आलोचना हो रही है। उधर म्यांमार की नेता आंग सान सू ची इस मसले पर चुप्पी साधे हैं। इस वजह से ये विवाद और भी बढ़ता जा रहा है।
सू ची की चुप्पी के खिलाफ ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी ने उनसे ‘फ्रीडम ऑफ ऑक्सफर्ड’ सम्मान वापस लेने की घोषणा की गई थी। सू ची ने ऑक्सफर्ड यूनिवसर्सिटी से अंडरग्रैजुएट की डिग्री ली थी। इसके बाद उन्हें 1997 में उन्हें ये उपाधि दी गई थी। कुल मिलाकर कहें तो रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर पूरी दुनिया में अलग अलग जगह प्रदर्शन हो रही हैं। कहीं विरोध की आग जल रही है तो कहीं हक में आवाज उठ रही है। ऐसे में अब म्यांमार का अगला कदम क्या होगा ये देखना होगा। फिलहाल बांग्लादेश ने तो इस मामले में अपनी बात साफ कर दी है। अब गेंद म्यांमार के ही पाले में है और उसके फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हैं।