अगले महीने राष्ट्रीय जनता दल में होगा सबसे बड़ा ‘ढकोसला’ !
कुछ लोग पार्टियों को अपनी जागीर समझते हैं। बात चाहें कांग्रेस की हो या फिर राष्ट्रीय जनता दल की यहां एक ही परिवार का दबदबा दिखता है।
New Delhi Oct 07 : अगले महीने यानी नवंबर में राष्ट्रीय जनता दल के भीतर सबसे बड़ा ढकोसला होने वाला है। जिसके गवाह आप और हम बनेंगे। लालू यादव की पार्टी के इस ढकोसले को देखेंगे, तालियां पीटेंगे और चले जाएंगे। दरसअल, राष्ट्रीय जनता दल में अगले महीने संगठन के चुनाव होने हैं। जिसमें पार्टी का नया अध्यक्ष चुना जाएगा। इस वक्त लालू यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इस चुनाव को लेकर ढकोसला शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया जा रहा है क्योंकि चुनाव में क्या कुछ होना है ये सब पहले से ही तय है। किसे पार्टी का अध्यक्ष चुना जाएगा ये बात भी हर किसी को मालूम है और तय भी है। बस महज सांगठनिक चुनाव की औपचारिकताएं पूरी की जानी है। खुद रघुवंश प्रसाद सिंह भी मानते हैं कि ये सब औपचारिकता है।
दरअसल, तमाम नेता पार्टियों को अपनी जागीर समझते हैं। वो ना तो खुद रास्ते से हटते हैं और ना ही किसी दूसरे को आगे बढ़ने देते हैं। खासतौर पर अपने परिवार से अलग। दर्जनों ऐसे उदारहण हैं। कांग्रेस पार्टी को ही ले लीजिए। सालों से इस पार्टी पर गांधी परिवार का ही कब्जा है। सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी की ताजपोशी की तैयारी है। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी को ही ले लीजिए। पहले मुलायम सिंह यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ करते थे। लेकिन, जनवरी में परिवार के विवाद के बाद उनके बेटे अखिलेश ने ही पिता से ये गद्दी हथिया ली। हालांकि अब अखिलेश यादव को आगरा अधिवेशन में फिर से पांच साल के लिए समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है। समाजवादी पार्टी का ये ढकोसला अभी पांच तारीख को ही आगरा में हुआ।
अब इसकी तैयारी राष्ट्रीय जनता दल ने शुरु कर दी है। राष्ट्रीय जनता दल की ओर से पांच अक्टूबर को ये एलान किया गया कि 19 अक्टूबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होगी। इसके अगले दिन यानी बीस अक्टूबर को राष्ट्रीय समिति की बैठक होगी। जिसमें पार्टी का नया अध्यक्ष चुना जाएगा। लालू यादव उस वक्त से राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष हैं जब इस पार्टी का गठन हुआ था। बीस बरस गुजर चुके हैं लेकिन, पार्टी का अध्यक्ष आज तक नहीं बदला है। बस अपनी सहूलियत के मुताबिक पार्टी का संविधान जरुर बदल दिया गया है। दरअसल, जब राष्ट्रीय जनता दल का गठन हुआ था तो उस वक्त पार्टी का नियम था कि किसी भी सजायाफ्ता व्यक्ति को पार्टी का अध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा।
लेकिन, चारा घोटाला में सीबीआई कोर्ट ने लालू यादव को ही सजा सुना दी। अब ऐसे में वो क्या करते। पार्टी के संविधान के तहत तो वो आरजेडी के अध्यक्ष बन नहीं सकते थे, लेकिन, पार्टी तो लालू यादव की ही जागीर है इसलिए संविधान की बदल दिया गया। वैसे तो लालू यादव के अध्यक्ष पद का कार्यकाल 17 जनवरी 2019 को खत्म हो रहा है वो इससे पहले ही चुनाव चाहते हैं। जरा सोचिएं क्यों ? क्योंकि लालू यादव पर चारा घोटाले के अलावा भी कई और घोटालों के आरोप हैं। वो कब किस मामले में जेल पहुंच जाएं किसी को कुछ नहीं पता। ऐसे में पार्टी अध्यक्ष विहीन ना रहे इसके लिए पार्टी के भीतर चुनावी ढकोसला बेहद जरूरी है। बताने को तो हम अभी भी बहुत कुछ बता सकते हैं लेकिन, ढकोसले का इंतजार करना ज्यादा बेहतर होगा। कुर्सी लालू के परिवार के बाहर कहीं नहीं जाएगी।