अब नरेंद्र मोदी से निपटना आसान नहीं होगा, विरोधियों की जमीन पर और आक्रामक !

राहुल गांधी से लेकर विपक्ष के कई नेताओं ने नरेंद्र मोदी को घेर तो लिया लेकिन निकलने का रास्ता खुला रह गया. अब मोदी और आक्रामक हो कर पलटवार करेंगे।  

New Delhi, Oct 08: जीएसटी के नियमों में बदलाव, अर्थ व्यवस्था को लेकर लगातार हमले, राहुल गांधी का वर्जन 2,3,4,5,6,7 पता नहीं कौन सा, ये सारी बातें इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई हैं। इन सभी का संबंध नरेंद्र मोदी से है। जी हां मोदी के अलावा और कोई विषय है जिस पर विरोधी एकमत हो सकें। विरोधियों ने हाल के दिनों में मोदी को घेरने की तगड़ी कोशिश की। मुद्दों को आधार बना कर हमला किया। खास तौर पर अर्थ व्यवस्था में गिरावट के मुद्दे पर तो इस तरह से बयान दिए गए जैसे देश की इकॉनमी बस खत्म होने वाली है। ये वो जंग का मैदान है जिसे मोदी ने नहीं चुना, यहां पर उनको लाया गया है।

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इस मामले में तो विपक्ष को बधाई देनी होगी कि वो मोदी को उनके परंपरागत मैदान से बाहर ला कर मुद्दों के आधार पर घेरने में कामयाब रहा। लेेकिन क्या वाकई विपक्ष कामयाब रहा है। विरोधियों के मैदान पर नरेंद्र मोदी ने उसी तरह से बैटिंग की जो एक समझदार खिलाड़ी करता है। पीएम मोदी ने तथ्यों के साथ पलटवार किया। आंकड़ों की तलवार से विपक्ष के आरोपों को एक एक करके काट डाला। इकॉनमी को लेकर जिस तरह से पीएम मोदी ने भाषण दिया वो कई लोगों को हैरान कर गया। संतुलित भाषा और तथ्यपरक हमला, ये मोदी की शैली नहीं थी लेकिन उन्होंने इस बात को समझा कि अब समय दूसरे खेल का है।

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आक्रामकता नरेंद्र मोदी की खासियत है। वो विरोधियों के खिलाफ अपने हमले के दौरान बेहद आक्रामक हो जाते हैं। लेकिन अब वो संयमित हो कर पलटवार कर रहे हैं तो इसका मतलब ये हुआ कि वो भी समझ रहे हैं कि माहौल उनके अनुकूल नहीं है। लिहाजा थोड़ा संभल कर खेलना होगा। अपने मैदान, अपने लोग, अपने मुद्दे पर तो मोदी अपने विरोधियों को लगातार पस्त कर ही रहे हैं। विपक्ष के तैयार किए मैैदान पर उनकी पारी देख कर समझ आ रहा है कि उनको रोकना अब मुश्किल हो जाएगा। विपक्षी के लिए 2019 का रण दूर की कौड़ी लग रहा है, तो इसके पीछे कई कारण हैं।

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सबसे पहले तो विपक्ष जिन मुद्दों को आधार बना कर मोदी पर हमला करने की कोशिश कर रहा है उनकी हवा धीरे धीरे निकल जाएगी। चुनाव में अभी वक्त है। मोदी ने अपने सारे पत्ते अभी नहीं खोले हैं। हां ये जरूर है कि अब मोदी को जनता की तकलीफों का अहसास होने लगा है। ये पहली बार है कि मोदी सरकार जनता को राहत देने के उपायों पर चर्चा कर रही है। जीएसटी के नियमों में बदलाव इसी का संकेत है। मगर इतना होने के बाद भी विरोधी दल मोदी को पूरी तरह से घेर नहीं पाए हैं। निकलने का रास्ता खुला रह गया। अब मोदी का आक्रामक रूप विरोधियों पर काफी भारी पड़ेगा।