हिमाचल प्रदेश में राहुल गांधी ने कांग्रेस की हार की पटकथा लिख दी ?

हिमाचल प्रदेश में चुनावी सभा के दौरान राहुल गांधी ने एलान किया कि जीतने पर वीरभद्र सिंह ही कांग्रेस के मुख्यमंत्री होंगे। ये बात कई लोगों को हजम नहीं हो रही है।

New Delhi, Oct 08: एक बात तो माननी पड़ेगी, राजनीति पर जितनी बात की जाए वो कम है, अब कल ही हमारे साथ वाले फ्लैट में रहने वाले उनियाल साहब अपनी बात पर अड़ गए. उनका कहना था कि हिमाचल प्रदेश का चुनाव कांग्रेस के लिए मुश्किल वाला साबित होने वाला है। उनके इस कथन के फौरन बाद ही एक सज्जन बोल पड़े कि ऐसा क्यों, कांग्रेस की तो वहां पर सरकार भी है। कांग्रेस को जरूर राहुल गांधी की रैलियों का फायदा होगा। माने चार लोगों के बीच बात कुछ भी हो रही हो वो घूम फिर कर राजनीति पर पहुंच जाती है। खाली समय को किल करने का इस से अच्छा जरिया अब वैसे भी कोई नहीं है। खास कर सचिन के सन्यास लेने के बाद से।

Advertisement

हां तो चर्चा छिड़ी हिमाचल प्रदेश की राजनीति की, वीरभद्र सिंह वहां के सीएम हैं। प्रदेश में अपनी पहली चुनावी सभा के दौरान राहुल गांधी ने बातें तो कई सारी कहीं लेकिन चर्चा में एक ही आई, वो ये कि कांग्रेस के चुनाव जीतने पर वीरभद्र सिंह ही मुख्यमंत्री होंगे। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन मुद्दा भ्रष्टाचार के आरोपों का है। वीरभद्र सिंह पर करप्शन के एक नहीं कई आरोप लगे हैं। सियासी जानकार कह रहे हैं कि राहुल के इस एलान के बाद जब हिमाचल में मोदी रैली करेंगे तो वीरभद्र सिंह को लेकर किए गए एलान का जिक्र जरूर करेंगे। क्या राहुल ने खुद ही वीरभद्र सिंह को एक मुद्दा बना कर मोदी के सामने पेश कर दिया है।

Advertisement

वीरभद्र सिंह के खिलाफ कई आरोप हैं। वो सीबीआई के साथ साथ प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर भी हैं। आय से अधिक संपत्ति के मामले में वीरभद्र सिंह के साथ साथ उनकी पत्नी भी फंसी हुई हैं। अभी तक उनकी कुछ संपत्तियां भी जब्त की जा चुकी हैं। ऐसे में जब देश में करप्ट नेताओं के खिलाफ एक माहौल बन रहा है तो क्या राहुल गांधी का वीरभद्र सिंह को फिर से सीएम कैंडिडेट बनाना आत्मघाती फैसला नहीं है। सियासी जानकारों का कहना है कि राहुल ने इस एलान के साथ ही कांग्रेस की हार की पटकथा लिख दी है। बीजेपी को इस मौके का ही इंतजार था। वो पहले से वीरभद्र के खिलाफ मोर्चा खोले बैठी थी।

Advertisement

सवाल यहां पर ये भी है कि राहुल ने वीरभद्र को सीएम कैंडिडेट बनाने में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई। वैसे ये सर्व  विदित सत्य है कि कांग्रेस में गांधी नेहरू परिवार के करीबी लोगों का ग्राफ लगातार बढ़ता ही रहता है। चाहे उन पर कितने और कैसे भी आरोप लगे हों। सज्जन कुमार से लेकर जदगीश टाइटलर तक ये एक लंबी लिस्ट है। राहुल चाहते तो इस बार कुछ अलग कर सकते थे। कांग्रेस में नेताओं की कमी नहीं है। मगर न जाने क्या सोचकर वो पुराने चेहरों को आजमा रहे हैं। अब इंतजार करिए कि हिमाचल में मोदी की रैली कब होती है और वीरभद्र का मुद्दा वो किस तरह से उठाते हैं। जो भी हो राहुल ने अपनी कमजोरी का एलान खुद कर दिया है।