NIA ने तोड़ दी है कश्‍मीर में टेरर फंडिंग की कमर, अब नजर हथियारों की सप्‍लाई पर

NIA लंबे समय से कश्‍मीर में टेरर फंडिंग के खिलाफ काम कर रही है। जिसका असर भी अब दिखने लगा है। अगला नंबर हथियारों की सप्‍लाई पर होगा।

New Delhi Oct 12 : जम्‍मू-कश्‍मीर में जो काम इस वक्‍त हो रहा है अगर यही काम कुछ साल पहले शुरु हो गया होता तो यकीनन अब तक कश्‍मीर से आतंकवाद का खात्‍मा हो चुका होता। लेकिन, राजनैतिक फायदे के लिए नेताओं से हमेशा से कश्‍मीर का इस्‍तेमाल किया। लेकिन, अब मोदी राज में ऐसा नहीं हो रहा है। आतंकवाद और टेरर फंडिंग के खिलाफ बड़े पैमाने पर काम हो रहा है। NIA लंबे समय से यहां पर टेरर फंडिंग के खिलाफ काम कर रही है। जिसका असर भी दिख रहा है। NIA का अब अगला टॉरगेट हथियारों की सप्‍लाई पर होगा। जाहिर तौर पर अगर कश्‍मीर में टेरर फंडिंग और आतंकियों को होने वाले हथियारों की सप्‍लाई पर लगाम लग गई तो यकीन मानिए यहां से आतंकवाद को जड़ से खत्‍म करने से कोई नहीं रोक पाएगा।

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देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह खुद ये मानते हैं कि NIA जिस रफ्तार और जिस तेजी के साथ कश्‍मीर में काम कर रही है। उससे जल्‍द ही टेरर फंडिंग पर पूरी तरह लगाम लग जाएगी। दरअसल, आतंकवाद सभ्‍य समाज के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। लेकिन, कुछ लोग हैं जो हमेशा से इसे बढ़ावा देने की फिराक में रहते हैं। सिर्फ अलगाववादी नेता ही नहीं बल्कि दूसरे नेता भी अपने निजी फायदे के लिए घाटी को नर्क बना रहे हैं। लेकिन, NIA उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने देगी। आतंकवाद पर इस वक्‍त दोहरी मार पड़ रही है। एक ओर टेरर फंडिंग पर शिकंजा कस गया है तो वहीं दूसरी ओर इंडियन आर्मी के जवान चुन-चुन कर आतंकी संगठनों के कमांडरों को ढेर कर रहे हैं।

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इस बात में कोई शक नहीं है मोदी सरकार में कश्‍मीर में आतंकी वारदातों में इजाफा हुआ है। लेकिन, ये बात भी माननी होगी कि जितने आतंकी मोदी सरकार के राज में कश्‍मीर के भीतर ढेर किए गए हैं उतने आज तक किसी भी सरकार में नहीं मारे गए हैं। जब देश में यूपीए की सरकार थी उस वक्‍त मनमोहन सिंह के आखिरी तीन साल के दौरान कश्‍मीर में कुल 705 आतंकी वारदातें हुईं थीं। जिसमें 105 जवान शहीद हुए थे जबकि 59 नागरिक मारे गए थे। लेकिन, मोदी सरकार में ये आंकड़ा बढ़ गया है। मोदी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में कुल 812 आतंकी हमले हुए। जिसमें 183 जवान शहीद हुए और 62 नागरिक मारे गए। बेशक ये आंकड़े परेशान करने वाले हाें लेकिन, इंडियन आर्मी हर आतंकी वारदात का मुंहतोड़ जवाब दे रही है।

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इसी का नतीजा है कि पिछले छह महीने में ही करीब दो सौ से ज्‍यादा आतंकी कश्‍मीर में मारे जा चुके हैं। जिसमें कई A++ कैटेगिरी के आतंकी थे। कई कमांडर थे। कई ईनामी आतंकी थे। औसत करेंगे तो हर रोज तीन से चार आतंकी मारे जा रहे हैं। जरा सोचिए कि अगर उन्‍हें मिलने वाला टेरर फंड भी रुक जाए और हथियारों की सप्‍लाई भी ना हो तो ये बात आर्मी के लिए सोने पर सुहागा जैसी होगी। जिस पर NIA लगातार काम कर रही है। कश्‍मीर में उस मॉडयूल को भी तोड़ दिया गया है जिसमें जम्‍मू-कश्‍मीर पुलिस के दो जवान हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकियों को हथियारों की सप्‍लाई करते थे। कश्‍मीर में इस वक्‍त NIA के सामने टेरर फंडिंग और हथियारों की सप्‍लाई पर रोक लगाने की टॉप प्रियोरिटी है।